कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट की न्यायाधीश शम्पा पॉल की पीठ ने माना कि आवश्यक कार्य करने वाले दीर्घकालिक आकस्मिक कर्मचारी नियमितीकरण के हकदार हैं तथा कार्यभार में कमी इसे अस्वीकार करने का वैध आधार नहीं है. न्यायाधीश ने कहा कि यह भी माना गया कि आवश्यक कार्यों में लंबी और निर्बाध सेवा नियमितीकरण की गारंटी देती है, भले ही प्रारंभिक नियुक्तियां अनियमित हों. कर्मचारियों को उनके उचित दावों से वंचित करने के लिए अस्थायी या अंशकालिक लेवल का दुरुपयोग अस्वीकार्य है और निष्पक्षता व समानता के सिद्धांतों के विपरीत है. गौरतलब है कि याचिकाकर्ता केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय की अधीनस्थ एक कंपनी में अस्थायी कर्मचारी के रूप में कार्यरत था और उसने नियमितीकरण का आवेदन करते हुए केंद्र सरकार के औद्योगिक न्यायाधिकरण के समक्ष याचिका दायर की थी. इसके बाद न्यायाधिकरण ने केंद्रीय संस्थान को कर्मचारी की नियुक्ति नियमितीकरण करने का निर्देश दिया. लेकिन केंद्र ने इस फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना कि केंद्र सरकार औद्योगिक न्यायाधिकरण, कोलकाता द्वारा पारित आदेश कानून के अनुसार था और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. उपरोक्त टिप्पणियों के साथ हाइकोर्ट ने केंद्रीय संस्थान की याचिका खारिज कर दी.
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