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आरटीआइ के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर दायर की जा सकती है अपील

धारा 19 आरटीआइ अधिनियम का मुख्य आधार है, जो सूचना चाहने वाले के अधिकार की रक्षा के लिए एक मजबूत और समय-सीमा में बंधी अपील प्रक्रिया स्थापित करती है. धारा 19 के तहत दो स्तर पर अपील दायर की जा सकती है.

कोलकाता.

धारा 19 आरटीआइ अधिनियम का मुख्य आधार है, जो सूचना चाहने वाले के अधिकार की रक्षा के लिए एक मजबूत और समय-सीमा में बंधी अपील प्रक्रिया स्थापित करती है. धारा 19 के तहत दो स्तर पर अपील दायर की जा सकती है.

इस संबंध में कलकत्ता हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवब्रत उपाध्याय ने प्रभात खबर के ऑनलाइन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यदि कोई आवेदक लोक सूचना अधिकारी (पीआइओ) की प्रतिक्रिया से असंतुष्ट है, चाहे वह सूचना से इनकार हो, अधूरी जानकारी हो, या 30 दिनों के भीतर कोई जवाब न हो, तो वह प्रथम अपील दायर कर सकता है. यह अपील 30 दिनों के भीतर उसी सार्वजनिक प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी, जिसे प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (एफएए) के रूप में नामित किया गया है, के पास की जानी चाहिए. इसके अलावा, यदि अपीलकर्ता एफएए के निर्णय से असंतुष्ट है, या एफएए निर्धारित समय सीमा के भीतर जवाब नहीं देता है, तो केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) या राज्य सूचना आयोग (एसआइसी) के पास द्वितीय अपील दायर की जा सकती है. यह स्वतंत्र निकाय मामले का निबटारा करने का अंतिम पड़ाव है और गलत तरीके से काम करने वाले पीआइओ पर जुर्माना लगा सकता है.

जगदल से रजत कुमार का सवाल : मैंने 2006 में एक जमीन रजिस्ट्री करवायी थी और तब से नगरपालिका का टैक्स भी जमा कर रहा हूं. लेकिन हमने जमीन का परचा (म्यूटेशन) नहीं कराया था. लेकिन 2018 में जब म्यूटेशन कराने गये, तो पता चला कि उस जमीन पर किसी और ने म्यूटेशन कराया है, अब हमें क्या करना चाहिए?

जवाब : म्यूटेशन एक संबंधित विभाग में रिकॉर्ड रखने वाला दस्तावेज है, म्यूटेशन से संपत्ति पर कोई अधिकार, शीर्षक, हित नहीं बनता है, इसलिए यदि अधिकारी 2006 के पंजीकृत विलेख के अनुसार आपके नाम पर म्यूटेशन नहीं करते हैं, तो आप आरटीआइ के माध्यम से विभाग से उस व्यक्ति के बारे में सभी आवश्यक दस्तावेज की मांग करिये, जिसके आधार पर उक्त व्यक्ति ने अपने नाम का म्यूटेशन कराया है. इसके बाद आप उक्त म्यूटेशन पर सवाल उठाते हुए विभाग को एक पत्र लिखें और विभागीय अधिकारी से पूछें कि आपके नाम पर म्यूटेशन क्यों नहीं किया जाना चाहिए. यदि उत्तर नकारात्मक है, तो उचित न्यायालय, फोरम में उक्त आदेश को चुनौती दे सकते हैं.

रिसड़ा से संजय सिंह का सवाल : मेरे घर से मेरी अपनी संपत्ति की ऑरिजनल दलील और दस्तावेज खो गये हैं, मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब : सबसे पहले तुरंत स्थानीय पुलिस थाने में जीडी दर्ज करायें, फिर स्थानीय समाचार पत्र में इसकी सूचना प्रकाशित करायें. तत्पश्चात संबंधित रजिस्ट्रार कार्यालय से दस्तावेजों के विलेख की प्रमाणित प्रति प्राप्त करें.

राजाबाजार से आशीष कुमार का सवाल : मैंने एक बैंक से लोन लिया था, लेकिन मैं उसका भुगतान नहीं कर पाया. लोक अदालत के माध्यम से नोटिस मिला है, क्या लोक अदालत से केस खत्म करा सकते हैं और छूट मिलेगी?

जवाब : अगर आपने किसी बैंक से लोन लिया है, तो वह आपको चुकाना ही होगा. अगर आपका ऋण खाता एनपीए हो गया है, तो लोक अदालत या राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से ऋण संबंधित वाद को खत्म करा सकते हैं. इसमें बैंक के अधिकारी रहेंगे और वन टाइम सेटलमेंट करने से बैंक के प्रावधानों के अनुसार विशेष छूट मिल सकती है.

बंडेल से राजू मिश्रा का सवाल : मैं कारोबार का विस्तार के लिए मुद्रा लोन लेना चाहता हूं, इसके लिए क्या करना होगा?

जवाब : मुद्रा लोन किसी व्यवसाय के लिए दिये जाने का प्रावधान है. अपने नजदीकी बैंक में इसके लिए आवेदन करें. बैंक की ओर से आपके व्यवसाय का स्थान देखा जायेगा व बिजनेस के प्रकार के आधार पर रिपोर्ट आने के बाद ऋण स्वीकृत किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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