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न्यूटाउन में बढ़ा सियारों का आतंक, जल्द बनेगा अभयारण्य

विधाननगर से सटे न्यूटाउन इलाके में सियारों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है.

संवाददाता, कोलकाता

विधाननगर से सटे न्यूटाउन इलाके में सियारों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. दिन हो या रात, अब यह जंगली जानवर खुलेआम सड़कों और आवासीय परिसरों में दिखायी देने लगे हैं. लोगों में डर का माहौल है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए न्यूटाउन कोलकाता डेवलपमेंट अथॉरिटी (एनकेडीए) और हिडको ने मिलकर सियारों के लिए एक अभयारण्य बनाने की योजना तैयार की है. इसके लिए न्यूटाउन के एक्शन एरिया-2 स्थित कदमपुकुर इलाके के पास हरियाली से घिरे एक भूखंड की पहचान की जा रही है.

मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद शुरू होगा निर्माण : एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की स्वीकृति मिलते ही इस परियोजना पर काम शुरू हो जायेगा. अभयारण्य में सियारों के लिए उनके पसंदीदा आहार- जैसे मुर्गियां, बत्तखें और चूहे उपलब्ध कराये जायेंगे, ताकि वे प्राकृतिक रूप से उसी स्थान पर रह सकें और मानव बस्तियों में प्रवेश न करें.

सड़क पर घूमते हैं सियार, लोगों में खौफ : स्थानीय निवासियों के मुताबिक, सियार अक्सर दिन में भी सड़कों पर घूमते दिख जाते हैं. कई बार वे रिहायशी अपार्टमेंट के अंदर तक घुस जाते हैं, जिससे लोगों में भय व्याप्त है. हाल ही में एक घटना में न्यू टाउन-शापूरजी मुख्य मार्ग पर सड़क पार करते समय एक सियार की वाहन की चपेट में आने से मौत हो गयी थी. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें लोगों ने प्रशासन से तत्काल कदम उठाने की मांग की थी.

राजारहाट व भांगड़ में भी सियारों का दबदबा : न्यूटाउन के अलावा सटे हुए राजारहाट और भांगड़ ब्लॉक में भी सियारों की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है. राजारहाट के चांदपुर, पाथरघाटा और बिष्णुपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों और भांगड़ के कोंचपुकुर, कटहलबेरिया, जटाभीम, कुलबेरिया व हातिशाला जैसे इलाकों में रात के समय इन जानवरों की हलचल ज्यादा होती है.

स्थानीय लोगों के अनुसार, देर रात सियार अक्सर घरेलू मुर्गियों को खींचकर ले जाते हैं. अंधेरे में मोटरसाइकिल या साइकिल से यात्रा करना जोखिम भरा हो गया है, क्योंकि कई बार सियार अचानक सामने आ जाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है.

पर्यावरणीय बदलाव है संकट की जड़ : विशेषज्ञ : पशु विशेषज्ञों का मानना है कि शहरीकरण के कारण सियारों का पारंपरिक आवास और भोजन का स्रोत तेजी से खत्म हो रहा है. राजारहाट और भांगड़ क्षेत्रों की आर्द्रभूमियों को सुखा कर वहां कंक्रीट के जंगल खड़े कर दिये गये हैं. साथ ही, कचरा प्रबंधन के चलते खुले में मिलने वाला भोजन भी कम हो गया है. परिणामस्वरूप, सियार अब भोजन की तलाश में मानव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इनके लिए संरक्षित क्षेत्र तैयार न किया गया, तो मानव और वन्यजीव के बीच संघर्ष और बढ़ सकता है.

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