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सुंदरवन : मछली-केकड़ा पकड़ने के नाम पर अवैध वसूली का आरोप

दक्षिण 24 परगना के सुंदरवन में मछली और केकड़ा पकड़ने को लेकर वन विभाग के कुछ कर्मचारियों पर अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगाये गये हैं.

वन विभाग के खिलाफ किया जा रहा प्रदर्शन

संवाददाता, कोलकाता

दक्षिण 24 परगना के सुंदरवन में मछली और केकड़ा पकड़ने को लेकर वन विभाग के कुछ कर्मचारियों पर अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगाये गये हैं. कुलतली सहित सुंदरवन के कुछ इलाकों में स्थानीय मछुआरों और ग्रामीणों का दावा है कि उनसे हर महीने प्रति व्यक्ति करीब 250 रुपये जबरन वसूले जा रहे हैं, जबकि इसके बदले कोई रसीद नहीं दी जाती. आरोप है कि अतिरिक्त पैसे देने से इनकार करने पर नाव पकड़ने के दौरान एक हजार रुपये या उससे अधिक का जुर्माना लगाया जाता है, वहां भी रसीद की कोई व्यवस्था नहीं है.

मछुआरों का कहना है कि सरकारी नियमों के अनुसार यदि कोई शुल्क लिया जाता है, तो उसके बदले रसीद और व्यक्तिगत परमिट देना अनिवार्य है. आरोप यह भी है कि उच्च अधिकारियों के पास परमिट के लिए आवेदन जमा करने के बावजूद चितुरी बीट कार्यालय उन आवेदनों को स्वीकार नहीं कर रहा. इसके चलते जैसे ही मछुआरे मछली पकड़ने के लिए नदी या जंगल में उतरते हैं, उन्हें परेशान किया जाता है. मछुआरों का आरोप है कि केवल पैसे न देने की वजह से उनके साथ यह व्यवहार किया जा रहा है. इस स्थिति के कारण सुंदरवन के हजारों मछुआरों के परिवार गहरे संकट में हैं, जिनकी पूरी आजीविका मछली और केकड़ा पकड़ने पर निर्भर है. विरोध में स्थानीय लोग और मछुआरे वन विभाग के कार्यालय के सामने प्रदर्शन पर उतर आये हैं.

मछुआरा यूनियन के नेताओं का कहना है कि यह पूरी तरह अवैध वसूली है और वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ रिश्वत लेने के आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

इस मामले को लेकर राजनीतिक घमासान भी शुरू हो गया है. भाजपा के जयनगर सांगठनिक जिले के अध्यक्ष उत्पल नस्कर ने कहा कि मछुआरों के साथ यह व्यवहार बेहद शर्मनाक है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. वहीं कुलतली माकपा के एरिया कमेटी सचिव उदय मंडल ने उक्त घटना को अमानवीय बताते हुए कहा कि जरूरत पड़ी तो पार्टी आंदोलन में उतरेगी. दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के नेता और कुलतली पंचायत समिति के वनभूमि कर्माध्यक्ष शाहजाद शेख ने कहा कि वह आम लोगों के साथ हैं और पूरे मामले की जांच की जायेगी. उन्होंने विपक्ष के आरोपों को राजनीतिक दुष्प्रचार भी बताया. इस संबंध में डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर निशा गोस्वामी ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें इस तरह की कोई शिकायत अब तक नहीं मिली है. यदि वन विभाग के किसी कर्मचारी के खिलाफ आरोप प्रमाणित होते हैं, तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जायेगी.

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