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टूटे दिल से कैसे पढ़ा पायेंगे शिक्षक : अधीर रंजन चौधरी

मेरे पास वह शक्ति नहीं है और ना ही अधिकार है. मेरे पास वह मानसिकता भी नहीं है.

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कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट ने एसएससी के माध्यम से नियुक्त बेदाग शिक्षकों को 31 दिसंबर तक काम करने की अनुमति दी है. अदालत के इस फैसले पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को कहा : यह फैसला घाव पर प्लास्टर की तरह है. दिसंबर के बाद शिक्षकों की नौकरी अनिश्चित है.ऐसे में टूटे दिल के साथ शिक्षक कैसे बच्चों को पढ़ा पायेंगे? प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी कहा : मैं जजों की आलोचना नहीं कर रहा. मेरे पास वह शक्ति नहीं है और ना ही अधिकार है. मेरे पास वह मानसिकता भी नहीं है. यह राज्य सरकार की विफलता है. न्यायालय अपने पास मौजूद सिद्धांत के आधार पर फैसला देते हैं. राज्य सरकार इस मामले में शुरू से ही अयोग्य लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है. अधीर ने कहा कि राज्य सरकार की उदासीनता और बोर्ड के अक्षम्य अपराधों के कारण हम सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह कहने में असमर्थ थे कि कौन योग्य है और कौन अयोग्य. इसकी वजह से शिक्षकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. वे नहीं जानते कि दिसंबर के बाद क्या होगा. उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि शिक्षक इन टूटे दिलों वाले छात्रों को क्या पढ़ाएंगे. क्योंकि वे स्वयं मानसिक रूप से टूटे हुए हैं. वे नयी पीढ़ी का निर्माण कैसे करेंगे? इसके बाद अधीर रंजन चौधरी ने मुख्यमंत्री पर भी हमला बोलते हुए कहा : वह खुद को बड़ा वकील बताती हैं. उन्हें सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए. इससे उनका खुद का सम्मान बढ़ेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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