संवाददाता, कोलकाता.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनिरुद्ध रॉय की पीठ ने राज्य प्राधिकरण द्वारा याचिकाकर्ता का निवास प्रमाण पत्र रद्द करने के आदेश को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि राज्य प्राधिकरण ने फैसला लेने से पहले याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया.
हाइकोर्ट के न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि चूंकि प्रमाण पत्र रद्द करने का निर्णय प्रक्रियात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण था, इसलिए निवास प्रमाण पत्र रद्द करने के आधार पर बीएसएफ द्वारा नियुक्ति के प्रस्ताव को रद्द करने के फैसले को भी खारिज किया जाता है. गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2022 में बीएसएफ में कांस्टेबल (जीडी) के पद के लिए आवेदन किया था और उसने राज्य प्राधिकरण द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र के आधार पर चयन प्रक्रिया में भाग लिया था. इसके बाद याचिकाकर्ता को 28 अगस्त 2023 को अनंतिम रूप से नियुक्त किया गया था. हालांकि, बाद में उसकी नियुक्ति इस आधार पर रद्द कर दी गई कि याचिकाकर्ता ने बिहार से मैट्रिक पास किया था, न कि पश्चिम बंगाल से, जैसा कि प्रमाण पत्र में दावा किया गया था. इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने राज्य प्राधिकरण व बीएसएफ के फैसले को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि उसके पिता ने 2002 या उससे पहले पश्चिम बंगाल में संपत्तियां खरीदी थीं और तब से याचिकाकर्ता के माता-पिता पश्चिम बंगाल में निवास कर रहे हैं. यह भी दलील दी गयी कि 17 नवंबर, 2023 को राज्य प्राधिकरण द्वारा निवास प्रमाण पत्र रद्द किये जाने की सूचना याचिकाकर्ता को कभी नहीं दी गयी. इसके बाद ही याचिकाकर्ता ने राज्य प्राधिकरण के खिलाफ अदालत का रूख किया था, जहां से याचिकाकर्ता को बड़ी राहत मिली है.
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