कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने अपने अपीलीय पक्ष नियमों में संशोधन किया, जिससे एकल जजों को अधिकांश जमानत आवेदनों की सुनवाई करने की अनुमति मिल सके. यह संशोधन एक अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा. बताया गया है कि अब से अग्रिम जमानत आवेदन, जमानत आवेदनों को रद्द करना सहित जमानत संबंधी सभी याचिकाओं की सुनवाई सिर्फ सिंगल बेंच पर होगी. गाैरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने पहले जमानत आवेदनों को खंडपीठों को सौंपने की हाइकोर्ट की प्रथा के बारे में चिंता जतायी थी, जबकि अन्य हाइकोर्ट ने ऐसे मामलों की सुनवाई एकल जज द्वारा करने की प्रथा का पालन किया था.सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद कलकत्ता हाइकोर्ट ने अपने नियमों में संशोधन किया.
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाइकोर्ट से जमानत आवेदनों पर डेटा भी मांगा था. हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा प्रस्तुत अनुपालन रिपोर्ट से पता चला कि 2024 में नियमित और अग्रिम दोनों तरह के 11,000 से अधिक जमानत आवेदन दायर किये गये थे.अब संशोधन अधिसूचित होने के साथ, संशोधित नियम एक अप्रैल, 2025 से लागू होगा, जिससे एकल न्यायाधीश अधिकांश जमानत आवेदनों को संभाल सकेंगे, जिससे कलकत्ता हाइकोर्ट की कार्यप्रणाली अन्य हाइकोर्ट के समान हो जायेगी.
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