आयोग ने कहा, कोई समस्या नहीं कोलकाता. फाइनल मतदाता सूची जारी होने से पहले हो रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर विवाद जारी है. इसी कड़ी में नदिया जिले के मायापुर में एसआइआर को लेकर एक मामला सामने आ गया. वहां कम से कम 60 मतदाताओं के पिता का नाम एक ही है-जयपताकास्वामी दास. यहां इस बात की चर्चा हो रही है कि इतने सारे मतदाताओं के अभिभावकों के नाम एक कैसे हो सकते हैं ? या मिलते-जुलते भी कैसे हो सकते हैं. मायापुर के कई इस्कॉन भक्त नवद्वीप विधानसभा क्षेत्र (77) की वार्ड संख्या 10 के ठाकुर भक्ति विनोद निम्न प्राथमिक विद्यालय में मतदान करते हैं. लगभग सभी ने 2002 की मतदाता सूची में अभिभावक के नाम की जगह जयपताकास्वामी दास का नाम लिखा था. रिश्ते की जगह पिता लिखा गया था. अगर मतदाता सूची में संशोधन होता है, तो उन इस्कॉन भक्तों को चिंता है कि क्या उन सभी के नाम हटा दिये जायेंगे ? या ऐसा नहीं किया जायेगा ? इस्कॉन के जनसंपर्क अधिकारी रसिक गौरांग दास ने कहा कि इस मामले में जो कुछ करना है, वह चुनाव आयोग ही करेगा. उन्होंने कहा कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) मामले की जांच करने के बाद कुछ कह सकेंगे. लेकिन एक व्यक्ति इतने सारे लोगों का अभिभावक कैसे या क्यों बन गया ? इस्कॉन के एक सूत्र का दावा है कि परंपरा के अनुसार कई भक्त संन्यास लेने के बाद सांसारिक माया-मोह से दूर हो जाते हैं. फिर वे गुरु महाराज को ही अपना अभिभावक मान लेते हैं. ऐसे में सचित्र परिचय पत्र में गुरु महाराज का नाम पिता के नाम की जगह पर लिखा गया है. इसे धार्मिक परंपरा से जोड़ कर देखा जाना चाहिए. दूसरी ओर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के एक सूत्र ने बताया कि आयोग ने एक दिशा-निर्देश में कहा है कि इस तरह के रिश्ते को स्वीकार किया जा सकता है. यानी गुरु महाराज को पिता माना जा सकता है. राज्य के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी अरिंदम नियोगी ने कहा कि कोई भी रिश्ता लिखा जा सकता है.
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