चेस्ट मेडिसिन विभाग के डीआरटी वार्ड में भर्ती गंभीर बीमारी से जूझ रहीं, पार्टी नेतृत्व ने अब तक नहीं लिया हाल-चाल कोलकाता. कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) में हिंदी विभाग की पूर्व प्रोफेसर और माकपा की दो बार राज्यसभा सांसद रहीं चंद्रकला पांडे (83) इन दिनों गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं. वह राज्य सरकार संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के चेस्ट मेडिसिन विभाग के डीआरटी (ड्रग रेसिस्टेंट टीबी) वार्ड में पिछले 15 दिनों से भर्ती हैं. विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ सस्मत घोष की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है. सूत्रों के अनुसार, इससे पहले उन्हें टेक्नो इंडिया डामा हेल्थकेयर एंड मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया था. बाद में वहां से निकालकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज भेजा गया. चूंकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इलाज नि:शुल्क होता है, इसलिए यहां भी उनका इलाज बिना किसी शुल्क के किया जा रहा है. अस्पताल सूत्र बताते हैं कि अब तक माकपा के केंद्रीय या राज्य नेतृत्व का कोई भी नेता अस्पताल जाकर उनसे मिलने या उनकी स्थिति की जानकारी लेने नहीं पहुंचा है. फिलहाल उनकी बहू ही डॉक्टरों के लगातार संपर्क में हैं और अपनी सास के स्वास्थ्य की जानकारी ले रही हैं. चंद्रकला पांडे ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (डीआर टीबी) से पीड़ित हैं. यह टीबी का गंभीर प्रकार है, जिसमें जीवाणु दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं और सामान्य इलाज कारगर नहीं होता. मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट (एमडीआर) और एक्सटेंसिवली ड्रग-रेसिस्टेंट (एक्सडीआर) टीबी इसके सामान्य रूप हैं. चिकित्सकों का कहना है कि यह बीमारी छुआछूत से भी फैल सकती है और इलाज जटिल होता है. राज्य में आरजी कर मेडिकल कॉलेज ही टीबी का नोडल सेंटर है, जहां सभी आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं. अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि भर्ती के शुरुआती दिनों में एक दवा के साइड इफेक्ट से उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हुई थी. मनोचिकित्सक की सलाह पर दवा बदलने के बाद अब वह मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं और लोगों को पहचान पा रही हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, डीआर टीबी के मरीजों को कई तरह की दवाएं दी जाती हैं, जिनके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं.
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