कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद और न्यायमूर्ति सुप्रतीम भट्टाचार्य ने रेलवे में नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि रेलवे प्राधिकरण द्वारा चयनित उम्मीदवारों को उचित नोटिस दिये बिना विधिवत प्रकाशित चयन पैनल को रद्द करना कानून का उल्लंघन है. किसी भी विधिवत चयन पैनल को केवल ठोस कारणों से ही रद्द किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि रेलवे प्राधिकरण ने गुड्स गार्ड के पद पर नियुक्ति के लिए एक दिसंबर 2021 को अधिसूचना प्रकाशित की थी. इसमें एलडीसीई कोटे के तहत 15 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया था. इस नियुक्ति प्रक्रिया में स्थायी रेलवे कर्मचारियों ने भी भाग लिया था.लिखित परीक्षा में मेरिट के आधार पर याचिकाकर्ता सहित 27 सफल उम्मीदवारों का आठ दिसंबर 2022 को तालिका प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद चयनित उम्मीदवारों का मेडिकल कराया गया और फिर उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण के लिए भेजा गया. लेकिन जब सभी उम्मीदवार 50 दिनों का प्रशिक्षण ले रहे थे, तभी अचानक रेलवे प्राधिकारण ने पैनल को कार्यालय आदेश के माध्यम से करने की घोषणा की गयी.
बताया गया कि प्रशासनिक कारण के आधार पर एक शिकायत और एक सतर्कता जांच के आधार पर इसे रद्द किया गया था. रेलवे प्राधिकरण के इस फैसले के खिलाफ उम्मीदवारों ने हाइकोर्ट का रुख किया था, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने यह टिप्पणी की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

