दुर्गापूजा अनुदान पर कलकत्ता हाइकोर्ट का आया अहम फैसला कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि खर्च का ब्योरा न देने वाली दुर्गापूजा कमेटियों को अनुदान की राशि न दी जाये. हाइकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर यह निर्देश दिया. याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रही है. न्यायमूर्ति सुजय पाल और न्यायमूर्ति स्मिता दास दे की खंडपीठ ने कहा कि केवल वही पूजा कमेटियां अनुदान पाने की पात्र होंगी, जिन्होंने निर्धारित समय में ‘यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट’ जमा किया है. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हलफनामा पेश कर बताया कि पिछले वर्ष कोलकाता पुलिस क्षेत्र में 2876 पूजा समितियों को अनुदान दिया गया था और सभी ने हिसाब या ‘यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट’ जमा किया है. वहीं, जिला पुलिस की ओर से 41799 पूजा समितियों को अनुदान देने के लिए चेक तैयार किये गये थे. लेकिन चार दुर्गापूजा कमेटियों ने अनुदान लेने से इनकार कर दिया था. कुल 41795 पूजा समितियों ने अनुदान स्वीकार किया, जिनमें से 41792 पूजा समितियों ने हिसाब दिया है. कुल 41,795 क्लबों में से केवल तीन ने खर्च का हिसाब नहीं दिया है. ये तीनों क्लब सिलीगुड़ी के हैं. इस पर न्यायमूर्ति सुजय पाल ने टिप्पणी की कि संख्या इतनी कम है कि ‘उसे देखने के लिए माइक्रोस्कोप लगाना पड़ेगा.’ उल्लेखनीय है कि सोमवार की सुनवाई में अदालत ने राज्य से पूछा था कि कितनी पूजा समितियों को अनुदान दिया गया और कितनी समितियों ने खर्च का ब्योरा नहीं दिया. साथ ही अदालत ने सवाल उठाया था कि जो समितियां हिसाब नहीं दे रही हैं, उन्हें राज्य सरकार क्यों अनुदान देती आ रही है. दरअसल, इस मुद्दे पर पहले एक जनहित याचिका दायर हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकार जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रही है. याचिकाकर्ता के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य और शमीम अहमद ने दलील दी थी कि उचित स्थानों पर खर्च करने के बजाय जनता का पैसा पूजा समितियों में बांटा जा रहा है. हालांकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि यह राशि ‘सेफ ड्राइव, सेव लाइफ’ जैसी अभियानों और कोविड जैसी परिस्थितियों में जनहित के कार्यों पर खर्च की जाती है. हाइकोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया था कि सरकारी अनुदान के उपयोग का पूरा विवरण पूजा समितियों को देना अनिवार्य होगा. अब अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बिना खर्च का हिसाब दिये किसी भी समिति को भविष्य में अनुदान नहीं मिलेगा.
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