कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में 2013 में दायर मानहानि के मामले को खारिज कर दिया. यह मामला राज्य के बर्दवान जिले के एक शैक्षणिक संस्थान के अधीक्षक द्वारा 280 से अधिक लोगों के खिलाफ दायर किया गया था, जिन्होंने मुख्यमंत्री को उनके खिलाफ सामूहिक याचिका भेजी थी. न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि यह याचिका सार्वजनिक हित से जुड़ी हुई थी और इसे मानहानि की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. क्या है पूरा मामला : बर्दवान जिले के एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान के अधीक्षक के खिलाफ 287 लोगों ने मुख्यमंत्री को एक सामूहिक याचिका भेजी थी. इसमें अधीक्षक पर अवैध गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप लगाये गये थे. याचिकाकर्ताओं ने मामले की निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग की थी. इसके जवाब में अधीक्षक ने आरोप लगाया कि इस सामूहिक शिकायत से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है और उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट, बर्दवान में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. हाइकोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस याचिका का उद्देश्य केवल संस्थान और छात्रों के हितों की रक्षा करना था, न कि किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना. न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता ने कहा : अगर किसी शख्स के खिलाफ कानूनन और अच्छे विश्वास में किसी प्राधिकरण को शिकायत दर्ज करायी जाती है, तो इसे मानहानि नहीं माना जा सकता. अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में 280 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किये थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह व्यक्तिगत बदले की भावना से प्रेरित नहीं था, बल्कि समाज के व्यापक हित में था. न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि याचिका को याचिकाकर्ताओं के कानूनी और प्राकृतिक अधिकारों के तहत उचित अधिकारियों को गोपनीय रूप से प्रस्तुत किया गया था. यह सामूहिक याचिका संस्थान और उसके छात्रों की सुरक्षा के लिए है, अदालत ने कहा कि इसे दुर्भावना या सार्वजनिक या समाज में प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के रूप में नहीं समझा जा सकता है.
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