कोलकाता. कलकत्ता यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी फैकल्टी के सचिव अमित राय ने जानकारी दी है कि अगले एकेडमिक सत्र से इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक कोर्स शुरू किया जायेगा, क्योंकि यह प्रोग्राम मार्केट के साथ बेहतर तालमेल बिठाता है. कलकत्ता यूनिवर्सिटी ने अगले एकेडमिक साल से इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस में अपना एमएससी कोर्स बंद करने और इलेक्ट्रॉनिक्स में चार साल का बीटेक शुरू करने का फैसला किया है. सीयू के इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी फैकल्टी के सचिव ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स सब्जेक्ट की बहुत मांग है, इस प्रोग्राम से छात्रों के लिए ज्यादा रोजगार की संभावनाएं हैं. सचिव ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस में एमएससी अब स्टूडेंट्स को आकर्षित नहीं करता है, इसलिए हमने प्रोग्राम को बंद कर दिया. इलेक्ट्रॉनिक्स में चार साल के बीटेक में वीएलएसआइ (वेरी लार्ज-स्केल इंटीग्रेटेड) डिजाइन के कंपोनेंट होंगे और इसमें प्लेसमेंट के बेहतर मौके होंगे. 90 के दशक में शुरू हुआ इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस में एमएससी साइंस फैकल्टी के तहत आता था. फिजिक्स बैकग्राउंड वाले विद्यार्थियों को वहां एडमिशन दिया जायेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएससी वाले भी 40 सीटों वाले प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकते हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक, टेक्नोलॉजी फैकल्टी का हिस्सा होगा. कलकत्ता यूनिवर्सिटी जल्द ही एआइसीटीई (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) को लिखित प्रस्ताव देकर 30 सीटों वाला बीटेक प्रोग्राम शुरू करने की अनुमति मांगेगा. इस विषय में वाइस-चांसलर आशुतोष घोष ने कहा कि वे नये प्रोग्राम श्रेणी के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक शुरू करने की अनुमति के लिए एआइसीटीई से संपर्क करेंगे. वीसी ने कहा कि हमें उन प्रोग्राम के बारे में सोचना होगा जिनकी जरूरत है. नहीं तो, पब्लिक-फंडेड इंस्टीट्यूशन को मुश्किल होगी. प्राइवेट कॉलेज तेजी से बदलावों को अपना रहे हैं. हमें भी बदलना होगा. मास्टर लेवल का प्रोग्राम छात्रों को आकर्षित नहीं कर रहा था. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक करने के लिए मेधावी छात्रों को आकर्षित कर पायेंगे. जो शिक्षक मास्टर्स लेवल पर विषय पढ़ाते थे, उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक लेवल की क्लास दी जायेगी. सीयू के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने 2015 में चार साल के बीटेक प्रोग्राम शुरू किये थे, जो तीन साल के बीटेक कोर्स की जगह ले रहे थे, लेकिन अब स्टूडेंट्स को यह कोर्स ज्यादा आकर्षित नहीं कर पा रहा. अब कलकत्ता यूनिवर्सिटी वास्तविकता को समझ रहा है और समय के साथ नये सब्जेक्ट ला रहा है.
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