कोलकाता.
राज्य सरकार ने नदियों और बंगाल की खाड़ी में जहाजों के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए विशेष पहल करने जा रही है. पोर्ट पर आने वाले जहाजों के डूबने या क्षतिग्रस्त होने के बाद नदियों व बंगाल की खाड़ी में तेल के रिसाव से जल प्रदूषित होता है. इसे रोकने के लिए राज्य सरकार तेल रिसाव आपदा प्रबंधन योजना तैयार कर रही है. इसे लेकर राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के साथ नबान्न में उच्चस्तरीय बैठक की. इसमें तटरक्षक बल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट कोलकाता के अधिकारी भी मौजूद थे. मुख्य सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर एक उच्चस्तरीय समिति बनायी गयी है, जिसकी अध्यक्षता वह स्वयं करेंगे. इस समिति में आपदा प्रबंधन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, सिंचाई, परिवहन, गृह और पर्यावरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि तेल रिसाव की स्थिति में त्वरित कार्रवाई के लिए ठोस रणनीति तैयार की जाये, जिससे जल प्रदूषण और पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सके.मुख्य सचिव ने अवैध रूप से बालू व पत्थर खनन के खिलाफ कार्रवाई का दिया निर्देश : बैठक में मुख्य सचिव ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में हो रहे बालू और पत्थर के अवैध खनन पर भी गहरी चिंता जाहिर की. मुख्य सचिव ने साफ किया कि सरकार किसी भी हाल में अवैध खनन बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस पर सख्त कार्रवाई करें और जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद से छापेमारी भी करें. राज्य सरकार ने पहले भी ऐसे खनन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाये थे, जिससे ये गतिविधियां कुछ समय के लिए कम हो गयी थीं. लेकिन हाल के दिनों में यह फिर से बढ़ने लगी हैं. अधिकारियों ने बताया कि रात के अंधेरे में चोरी-छिपे रेत और पत्थर निकाले जा रहे हैं. उनकी तस्करी हो रही है. मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि खनन कार्य केवल सरकार से उचित लाइसेंस लेने के बाद ही किया जा सकता है. यदि नियमों का उल्लंघन हुआ, तो दोषियों को गिरफ्तार किया जायेगा और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.
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