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बिहारी बाबू को ‘बंग विभूषण अवॉर्ड’, गायिका अरती मुखोपाध्याय भी सम्मानित

औपचारिक रूप से शत्रुघ्न सिन्हा ने 31वें केआइएफएफ के शुभारंभ की घोषणा की.

कोलकाता. अलीपुर स्थित धनधान्य ऑडिटोरियम में गुरुवार को 31वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव (केआइएफएफ) का भव्य उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, अभिनेता और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा व फिल्म निर्देशक रमेश सिप्पी ने किया. औपचारिक रूप से शत्रुघ्न सिन्हा ने 31वें केआइएफएफ के शुभारंभ की घोषणा की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने शत्रुघ्न सिन्हा को उनके लंबे फिल्मी करियर और भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘बंग विभूषण अवॉर्ड’ प्रदान कर सम्मानित किया. गौरतलब है कि शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म 15 जुलाई 1946 को पटना (बिहार) में हुआ था. उनके पिता का नाम भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा और माता का नाम श्यामा देवी सिन्हा हैं. चार भाइयों में वह सबसे छोटे हैं – राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न. उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से बीएससी की डिग्री प्राप्त की. सिन्हा ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत देव आनंद की फिल्म प्रेम पुजारी में एक पाकिस्तानी मिलिट्री ऑफिसर की भूमिका से की थी. हालांकि फिल्म की रिलीज में देरी के कारण उनकी पहली रिलीज फिल्म साजन (1969) बनी. इसके बाद उन्होंने प्यार ही प्यार, रामपुर का लक्ष्मण, भाई हो तो ऐसा, हीरा और ब्लैकमेल जैसी फिल्मों में काम किया. 1971 में गुलजार की मेरे अपने ने उन्हें एक नयी पहचान दी. 1976 में आयी फिल्म कालीचरण से उन्होंने मुख्य अभिनेता के रूप में सफलता हासिल की. अपने सशक्त अभिनय और दमदार संवाद शैली से उन्होंने हिंदी सिनेमा में एक खास मुकाम बनाया. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर बंगाल की गायिका आरती मुखोपाध्याय को भी शास्त्रीय संगीत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘बंग विभूषण अवॉर्ड’ से सम्मानित किया. आरती मुखोपाध्याय, जिन्हें आरती मुखर्जी या आरती मुखर्जी मुखोपाध्याय के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 18 जुलाई 1943 को कोलकाता में एक संगीत-प्रेमी बंगाली परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक संगीत शिक्षा अपनी मां से प्राप्त की और बाद में सुशील बनर्जी, उस्ताद मोहम्मद सगीरुद्दीन खान, आचार्य चिन्मय लाहिड़ी, पंडित लक्ष्मण प्रसाद जयपुरवाले और पंडित रमेश नाडकर्णी जैसे गुरुओं से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली. उन्होंने हिंदी फिल्म गीत गाता चल (1975), तपस्या (1976), मासूम (1983) और सूरजमुखी (1992) सहित कई लोकप्रिय फिल्मों में गीत गाये हैं. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि बंगाल सिनेमा और संगीत की भूमि है, जहां से देश को अनेक महान कलाकार मिले हैं. उन्होंने दोनों कलाकारों को बंगाल की सांस्कृतिक विरासत के सच्चे प्रतिनिधि बताया.

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