कोलकाता.
बुधवार को विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए आइएसएफ विधायक नौशाद सिद्दिकी ने दावा किया कि हज इंस्पेक्टर की नियुक्ति में भी भ्रष्टाचार हुआ है. इसे लेकर वह अदालत भी गये हैं. उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक राज्य से हज के लिए हज यात्री जाते हैं. नियम के मुताबिक 150 यात्रियों पर एक इंस्पेक्टर की नियुक्ति की जाती है. सरकार की ओर से सरकारी कर्मचारियों में इस काम के लिए इच्छुक कर्मियों को आवेदन करने के लिए कहा जाता है. आवेदन करने के बाद लिखित परीक्षा ली जाती है. लिखित परीक्षा में जो पास होते हैं, वह मुंबई जाकर प्रशिक्षण लेते हैं. प्रशिक्षण दो दिनों का होता है. जरूरत पड़ने पर प्रशिक्षण की मियाद बढ़ा दी जाती है. उन्होंने कहा कि परीक्षा पास करने के बाद ही इंस्पेक्टर के रूप में हज यात्रियों की देखरेख का अवसर मिलता है. उन्होंने आरोप लगाया कि बिना परीक्षा पास किये व प्रशिक्षण लिये ही इंस्पेक्टर के रूप में जिम्मेदारी निभायी गयी है. जबकि प्रशिक्षित व पास करनेवालों को वंचित कर दिया गया है. नौशाद सिद्दिकी ने कहा कि इस वर्ष बंगाल से 5400 के लगभग लोग हज यात्रा पर जा रहे हैं. हज यात्रियों की देखरेख के लिए राज्य से हज इंस्पेक्टर को भेजा जाता है. उन्होंने कहा कि जो सूची आयी है, उसमें 12-13 लोगों का नाम काट कर नयी नियुक्ति हुई है. इन लोगों ने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है. उन्हें भेजा जा रहा है. यह पूरी तरह से अवैध है. यह ठीक ऐसा है, जैसे शिक्षक भर्ती घोटाले में हुआ था. हज इंस्पेक्टर की नियुक्ति में भी भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने कहा कि इस भ्रष्टाचार को लेकर सेंट्रल हज कमेटी, भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री को जानकारी दी है. जब कोई जवाब नहीं मिला तो उन्हें अदालत की शरण में जाना पड़ा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है