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अंडमान के पूर्व सांसद और अन्य को अरेस्ट कर कोलकाता पहुंची ईडी टीम

करीब 500 करोड़ रुपये के ऋण घोटाले के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व सांसद व पूर्व बैंक अध्यक्ष कुलदीप राय शर्मा, पूर्व प्रबंध निदेशक के मुरुगन व पूर्व ऋण अधिकारी के कलैवानन को गत बुधवार को गिरफ्तार किया था. मुरुगन अस्पताल में भर्ती है, इसलिए उसे छोड़ कर अन्य दो आरोपियों को एक विशेष अदालत में पेश करने पर उन्हें आठ दिनों की ईडी हिरासत में भेजा गया है.

कोलकाता

. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों ने अंडमान और निकोबार राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (एएनएससीबीएल) में कथित करीब 500 करोड़ रुपये के ऋण घोटाले के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व सांसद व पूर्व बैंक अध्यक्ष कुलदीप राय शर्मा, पूर्व प्रबंध निदेशक के मुरुगन व पूर्व ऋण अधिकारी के कलैवानन को गत बुधवार को गिरफ्तार किया था. मुरुगन अस्पताल में भर्ती है, इसलिए उसे छोड़ कर अन्य दो आरोपियों को एक विशेष अदालत में पेश करने पर उन्हें आठ दिनों की ईडी हिरासत में भेजा गया है.

गुरुवार को शर्मा समेत दो आरोपियों को पोर्ट ब्लेयर से कोलकाता स्थित केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय लाया गया. ईडी ने इन तीनों को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया है.

कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा : ईडी की जांच अपराध व आर्थिक अपराध शाखा, अंडमान और निकोबार पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर शुरू हुई. गत 15 मई को दर्ज इस प्राथमिकी में बैंक अधिकारियों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये गये थे. आरोप था कि इन अधिकारियों ने कई फर्जी कंपनियां बना कर और नियमों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर ऋण स्वीकृत किये.

ईडी के मुताबिक, 100 से अधिक ऋण खातों के जरिये बैंक की निर्धारित प्रक्रियाओं की पूरी तरह अनदेखी करते हुए 500 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जीवाड़ा किया गया. आरोप है कि इनमें से लगभग 230 करोड़ रुपये का लाभ सीधे तौर पर शर्मा और उनके नजदीकी सहयोगियों को पहुंचाया गया.

छापेमारी व तलाशी अभियान : ईडी ने इस मामले में पहले भी बड़े स्तर पर तलाशी अभियान चलाया था. इस साल 31 जुलाई और एक अगस्त को एजेंसी ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 21 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इनमें फर्जी कंपनियों के दफ्तर और आरोपियों के निवास शामिल थे. हाल ही में ईडी ने तीन और परिसरों पर तलाशी ली है. जांच में यह भी सामने आया है कि ऋण की बड़ी राशि को शेल कंपनियों के जरिये इधर-उधर घुमा कर अंततः नकद निकाला गया और वरिष्ठ बैंक अधिकारियों तक पहुंचाया गया.

फर्जी कंपनियों के जरिये खेल

आरोप है कि पूर्व प्रबंध निदेशक के मुरुगन और ऋण अधिकारी के कलैवानन ने भी अपने परिजनों के नाम पर कंपनियां बना कर बैंक से धोखाधड़ी के जरिये ऋण लिया. साथ ही इन दोनों ने अपने सहयोगियों को भी ऋण दिलाने में मदद की और इसके एवज में पांच प्रतिशत कमीशन वसूला. यह कमीशन नकद के रूप में या शेल कंपनियों के खातों के जरिये लिया जाता था.

पहली बड़ी गिरफ्तारी

ईडी अधिकारियों ने बताया कि यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में धन शोधन निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत की गयी पहली गिरफ्तारी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हिरासत में लिये गये आरोपियों से पूछताछ जारी है, ताकि इस बड़े घोटाले के बाकी पहलुओं का पर्दाफाश किया जा सके. एजेंसी ने साफ किया है कि जांच अभी जारी है और जैसे-जैसे साक्ष्य सामने आयेंगे और गिरफ्तारियां संभव हैं.

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