कोलकाता.
वर्ष 2025 के अक्तूबर में सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम, 2005 को लागू हुए 20 साल पूरे हो जायेंगे. इसलिए, इसके प्रभाव और आरटीआई अधिनियम के सामने आने वालीं चुनौतियों पर विचार करना महत्वपूर्ण है. यह अधिनियम जून, 2005 में पारित हुआ था और अक्तूबर, 2005 में लागू हुआ था. यह अधिनियम नागरिकों को लोक प्राधिकारियों के नियंत्रण में उपलब्ध सूचना तक पहुंच प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है.कलकत्ता हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवब्रत उपाध्याय ने प्रभात खबर के ऑनलाइन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सूचना के अधिकार को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा; नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदा तथा आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि में मानवाधिकार के रूप में व्यक्त किया गया है.श्री उपाध्याय ने बताया कि यह जरूरी नहीं कि हमें आरटीआइ के तहत सभी जानकारी मिलेंगी. आरटीआइ अधिनियम, 2005 की धारा आठ और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कई ऐसी जानकारियां भी हैं, जो सार्वजनिक नहीं की जा सकतीं. उन्होंने बताया कि आरटीआइ अधिनियम, 2005 की धारा आठ के तहत ऐसी जानकारियां साझा नहीं की जा सकतीं, जिससे भारत की संप्रभुता व अखंडता और सुरक्षा व रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हित प्रभावित हो और जिसे किसी अन्य देश के साथ भारत के संबंध प्रभावित हो सकते हैं. इसके साथ ही अपराध को बढ़ावा मिलने की संभावना, संसद/राज्य विधान-मंडल के विशेषाधिकार का उल्लंघन होने का डर, किसी भी न्यायालय/अधिकरण द्वारा प्रकाशित करने की स्पष्ट रूप से मनाही की गयी सूचना को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.
इसके अलावा ऐसी जानकारियां, जिससे न्यायालय की अवमानना होने की संभावना हो व वाणिज्यिक गोपनीयता, ट्रेड सीक्रेट्स यानी व्यापार रहस्य या बौद्धिक संपदा से संबंधित सूचना तथा ऐसी सूचना जिसके प्रकटीकरण से किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरा होने की संभावना हो, उसकी जानकारी भी नहीं दी जा सकती.बैरकपुर से मीता शर्मा का सवाल : सरकारी लोन के लिए एक व्यक्ति को पांच हजार रुपये दिया था. डेढ़ माह गुजर जाने के बावजूद अब तक लोन नहीं मिल सका है. अब वह टाल-मटोल कर खा है. क्या करना होगा?
जवाब : रुपये देने का प्रमाण होने पर आप उसे अधिवक्ता के माध्यम से रुपये वापसी के लिए लीगल नोटिस भेजें और अगर वह जवाब नहीं देता या उसके जवाब से आप संतुष्ट नहीं होते, तो उसके खिलाफ थाने में मामला दायर करायें.कमरहट्टी से राजू साव का सवाल : सड़क हादसे की वजह से मैं दिव्यांग हो गया हूं. मेरे सरकारी बैंक के खाते में कुछ माह मेरी पेंशन भी आयी. इसके बाद पेंशन आना बंद हो गया. बैंक अधिकारी केवाइसी अपडेट के लिए शाखा में बुला रहे हैं, लेकिन जाने में असमर्थ हूं, क्या करूं?
जवाब : आप बैंक के मैनेजर से फोन के माध्यम से संपर्क कर अपनी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दें और उनसे बैंक के किसी कर्मचारी को घर भेजने की मांग करें. वह अवश्य आपकी बात सुनेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

