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बेलूड़ मठ घर आने जैसा : प्रधानमंत्री

हावड़ा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बेलूड़ मठ को एक तीर्थस्थल बताते हुए कहा कि हावड़ा जिले में स्थित रामकृष्ण मिशन के वैश्विक मुख्यालय की यात्रा करना उनके लिए “घर आने” जैसा है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मठ में एक रात बिताने का अवसर देने के लिए वह इसके व्यवस्थापकों के […]

हावड़ा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बेलूड़ मठ को एक तीर्थस्थल बताते हुए कहा कि हावड़ा जिले में स्थित रामकृष्ण मिशन के वैश्विक मुख्यालय की यात्रा करना उनके लिए “घर आने” जैसा है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मठ में एक रात बिताने का अवसर देने के लिए वह इसके व्यवस्थापकों के आभारी हैं.

मोदी ने कहा : यह (स्थान) किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है. मेरे लिए, यह घर आने जैसा है. मैं सौभाग्यशाली हूं कि रामकृष्ण मठ एवं मिशन के अध्यक्ष ने मुझे यहां रात बिताने की अनुमति दी. उन्होंने कहा : सुरक्षा प्रोटोकॉल के मुताबिक, मुझे हर जगह जाने की इजाजत नहीं दी गयी.
मैं यहां रात बिताने की अनुमति देने के लिए (राज्य) सरकार का आभारी हूं. सफेद कुर्ता और धोती तथा गले में उतरिया पहने मोदी ने राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही. मठ अधिकारियों ने स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाने के उपलक्ष्य में इस कार्यक्रम का आयोजन किया था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि बेलूड़ मठ के माहौल ने उन्हें लोगों के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलायी. उन्होंने मठ परिसर में मौजूद स्कूली छात्रों के समूह से कहा : इस भूमि में, यहां की हवा में स्‍वामी राम कृष्‍ण परमहंस, मां शारदा देवी, स्‍वामी ब्रह्मानंद, स्‍वामी विवेकानंद सहित तमाम गुरुओं का सान्निध्य हर किसी को अनुभव हो रहा है.
जब भी यहां बेलूड़ मठ आता हूं तो अतीत के वो पृष्‍ठ खुल जाते हैं, जिनके कारण आज मैं यहां हूं और 130 करोड़ भारतवासियों की सेवा में कुछ कर्तव्‍य निभा पा रहा हूं. मिशन के पूर्व अध्यक्ष एवं अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी आत्मास्थानंद का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी शिक्षाओं ने सोचने का दायरा व्यापक किया और रास्ते दिखाये.
उन्होंने स्वामी आत्मस्थानंद के साथ अपने वक्त को याद किया और कहा कि संत के शब्दों ने उनके जीवन का नजरिया बदल दिया. प्रधानमंत्री ने कहा : पिछली बार, मैं स्वामी आत्मस्थानंद के आशीर्वाद के साथ लौटा (बेलूड़ मठ से) था. वह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने मुझे सिखाया कि जनसेवा प्रभु की सेवा करने का एकमात्र रास्ता है.
आज वो शारीरिक रूप से हमारे बीच विद्यमान नहीं हैं, लेकिन उनका काम, उनका दिखाया मार्ग, रामकृष्ण मिशन के रूप में सदा-सर्वदा हमारा मार्ग प्रशस्त करता रहेगा. मोदी, 2013 के अपने कोलकाता दौरे के दौरान स्वामी आत्मस्थानंद से मिले थे और उनसे आशीर्वाद लिया था. दो साल बाद उन्होंने रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान (अस्पताल) में बीमार संत से मुलाकात की थी और उनकी सेहत की जानकारी ली थी.
2017 में स्वामी आत्मस्थानंद के निधन के बाद प्रधानमंत्री ने इसे “व्यक्तिगत नुकसान” बताया था. रामकृष्ण मठ एवं मिशन के महासचिव स्वामी सुवीरानंद ने कहा कि मोदी मठ में रात बिताने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने कहा: सच में हमारे लिए भी यह अपने बेटे का उसके घर में स्वागत करने जैसा है. कोई भी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति अब तक यहां नहीं ठहरे थे.
मैं भी बेलूड़ मठ में रहना पसंद करूंगा : राज्यपाल
हावड़ा. रविवार शाम लायंस कल्ब ऑफ कोलकाता की ओर से मध्य हावड़ा के राउंड टैंक लेन में आयोजित कार्यक्रम में बतौर अतिथि पहुंचे राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि भविष्य में अगर उन्हें मौका मिला, तो वह राजभवन के बदले बेलूड़ मठ में रहना पसंद करेंगे.
उन्होंने कहा कि शनिवार को प्रधानमंत्री ने उनसे मठ में रहने की बात कही थी. मैंने उनसे कहा कि इससे अच्छा कुछ नही‍ं हो सकता. अगर मुझे भी बाकी के साढ़े चार साल बेलूड़ मठ में रहने को मिले, तो जरूर रहेंगे.
श्री धनखड़ ने कहा कि बंगाल की धरती हिंसा के लिए नहीं जानी जाती है. पिछले दिनों स्टेशन व ट्रेनों पर पथराव किये गये थे. यह हमारे देश की संस्कृत नहीं है और बंगाल की संस्कृति कभी भी इस तरह नहीं रही है. इस दौरान क्लब की ओर से जरूरतमंद लोगों के बीच कपड़े बांटे गये व उन्हें खाना भी खिलाया गया.
पीएम के भाषण पर नो कमेेंट्स : स्वामी सुबीरानंद जी महाराज
हावड़ा : रविवार सुबह बेलूड़ मठ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नागरिकता संशोधन कानून पर भाषण दिये जाने पर मिशन व मठ के महासचिव स्वामी सुबीरानंद जी महाराज ने कहा कि इस संबंध में मिशन कोई टिप्पणी नहीं करेगा. मिशन एक गैर-राजनैतिक संगठन है.
मिशन समावेशिता में विश्वास करता है. हम समावेशी संगठन हैं, जिसमें हिंदू, इस्लाम और ईसाई समुदायों के संत हैं. हम एक ही माता पिता की संतान की भांति रहते हैं. महाराज ने कहा कि वह देश के प्रधानमंत्री हैं व हमारे अतिथि थे. हम सबों के लिए गर्व की बात है कि वह मठ में रात गुजारे.
महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से सूचना दी गयी थी कि वह शनिवार की रात मठ में रहना चाहते हैं. शनिवार रात नौ बजे वह जल मार्ग से मठ पहुंचे. मठ की ओर से उनका भव्य स्वागत किया गया. रात को भोजन में वह प्रसाद खाये व फिर सोने चले गये. रविवार सुबह प्रधानमंत्री ने बताया कि महज 30 सेकेंड में उन्हें नींद आ गयी.
सुबह उठने के बाद उन्होंने आधे घंटे तक ध्यान किया व फिर पूजा अर्चना की. स्वामी सुबीरानंद महाराज ने बताया कि यहां आने से पहले उन्होंने ट्वीट किया था कि वह मठ जाने को लेकर बेहद उत्साहित हैं, लेकिन स्वामी आत्मास्थानंद जी महाराज को मिस कर रहे हैं. मालूम रहे कि वह स्वामी से वर्षों पहले गुजरात में मिले थे.

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