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केंद्र जल्द ही लायेगा नयी शिक्षा नीति : पोखरियाल

कोलकाता : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार नयी शिक्षा नीति लायेगी. नयी शिक्षा नीति भारत केंद्रित होगी. यह शिक्षा मूल्यों से युक्त होगी. नवाचार के साथ ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान का समा‍वेश होगा. पोखरियाल ने रविवार को भाजपा शिक्षा प्रकोष्ठ द्वारा राष्ट्रीय पुस्तकालय के ऑडिटोरियम […]

कोलकाता : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार नयी शिक्षा नीति लायेगी. नयी शिक्षा नीति भारत केंद्रित होगी. यह शिक्षा मूल्यों से युक्त होगी. नवाचार के साथ ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान का समा‍वेश होगा.

पोखरियाल ने रविवार को भाजपा शिक्षा प्रकोष्ठ द्वारा राष्ट्रीय पुस्तकालय के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इसके बाद प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में नवाचार, ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, भारत मूल्यपरक शिक्षा और भारत केंद्रित शिक्षा का समावेश होगा. इसमें प्राचीन से लेकर नूतन अनुसंधान को शामिल किया जायेगा. शिक्षा के क्षेत्र में भारत विश्वगुरु रहा है. ज्ञान व विज्ञान अनुसंधान की कमी नहीं रही है. शिक्षण संस्थाओं को और मजबूत करेंगे.
उन्होंने राजनीतिक दलों का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थाओं को राजनीति का अड्डा नहीं बनने दें. बंगाल में इस तरह की कोशिश हो रही है, जो सफल नहीं होगी. जेइइ के प्रश्नपत्र बांग्ला में नहीं होने के सवाल पर पोखरियाल ने कहा कि सरकार चाहती है कि तमिल, तेलगू, बांग्ला, गुजराती सहित जितनी भारतीय भाषाएं हैं, उन्हें मजबूत किया जाये. प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय भाषा में दी जाये. बंगाल में बांग्ला साहित्य अद्भुत साहित्य है. राज्य सरकार मातृ भाषा में शिक्षा दे. केंद्र सरकार सहयोग करेगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आरोप लगाती है कि पैरा टीचर्स को भारत सरकार पैसा नहीं देती है. केंद्र सरकार पैसा देती है, लेकिन राज्य में उसका उपयोग नहीं होता है. भारत सरकार की समग्र शिक्षा में 60 व 40 की अंशदारी है लेकिन उन्हें अफसोस है कि वित्त वर्ष 18-19 में केंद्र सरकार ने 1090 करोड़ रुपये दिये, लेकिन राज्य सरकार 369 करोड़ खर्च नहीं कर पायी.
राज्य सरकार केवल राजनीति कर रही है. उसका शिक्षा पर ध्यान नहीं है. इस वित्त वर्ष में राज्य सरकार को समग्र शिक्षा में 1073 करोड़ मिले हैं, लेकिन राज्य सरकार ने खर्च की गयी राशि के 80 फीसदी प्रमाणपत्र अभी तक नहीं दिये हैं. राज्य सरकार का ध्यान केवल राजनीति पर है, शिक्षा पर ध्यान ही नहीं है. उच्च शिक्षा की राशि भी उपयोग नहीं हो पाती है.
बंगाल सरकार का ध्यान शिक्षा व विकास पर नहीं, राजनीति पर
उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार का ध्यान विकास व शिक्षा पर नहीं, राजनीति पर है. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत गरीबों को मदद पहुंचाने के लिए योजना है. बंगाल में उसे भी लागू नहीं किया गया. इसमें केंद्र सरकार पांच लाख रुपये देती है, लेकिन सरकार बंगाल में लोगों का स्वास्थ्य ठीक नहीं करना चाहती है. विकास के बजाय लोगों को उकसाया जा रहा है.
रोजगार देने की जगह पत्थर दिया जा रहा है, ताकि वे राष्ट्र की संपत्ति का नुकसान पहुंचायें. बंगाल सरकार की नीतियां पूरी तरह से जनविरोधी हैं. लोगों को गुमराह कर जिस तरह से यहां वातावरण बनाने की कोशिश हो रही है, लोग उसके खिलाफ खड़े होंगे. जवाब देंगे.
उन्होंने कहा कि कभी भी कोई मुख्यमंत्री ऐसा गैर जिम्मेदराना बयान नहीं देता है. राज्यपाल एक संवैधानिक संस्था हैं. वह देश के संविधान का प्रतिनिधित्व करते हैं. राज्य में राज्यपाल का निरादार प्रमाण है कि इस राज्य की कानून व्यवस्था खराब हो गयी है. राज्यपाल और मुख्यमंत्री एक पद नहीं है, बल्कि संवैधानिक व्यवस्था है.

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