कोलकाता : दक्षिण कोलकाता के नेताजी नगर थाना क्षेत्र के अशोक एवेन्यू स्थित एक इमारत में मंगलवार सुबह संदिग्ध हालात में एक बुजुर्ग दंपती मृत मिला. मृतकों की शिनाख्त दिलीप मुखर्जी (80) और स्वपना मुखर्जी (72) के रूप में हुई है. सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, गुप्तचर शाखा के अधिकारियों के अलावा कोलकाता पुलिस के […]
कोलकाता : दक्षिण कोलकाता के नेताजी नगर थाना क्षेत्र के अशोक एवेन्यू स्थित एक इमारत में मंगलवार सुबह संदिग्ध हालात में एक बुजुर्ग दंपती मृत मिला. मृतकों की शिनाख्त दिलीप मुखर्जी (80) और स्वपना मुखर्जी (72) के रूप में हुई है. सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, गुप्तचर शाखा के अधिकारियों के अलावा कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) मुरलीधर शर्मा मौके पर पहुंचे. घटनास्थल पर खोजी कुत्ते भी लाये गये व फॉरेंसिक टीम भी पहुंची. घटनास्थल से नमूने संग्रह किये गये हैं.
जानकारी के अनुसार, इमारत के पहले तल्ले की सीढ़ियों पर स्वपना मुखर्जी की लाश पड़ी हुई थी. उनके गले में कपड़ बंधा हुआ था. दूसरे तल्ले पर स्थित एक कमरे से दिलीप मुखर्जी की लाश मिली. उनका पैर बिस्तर के नीचे लटक रहा था. उनके मुंह में छोटी तौलिया ठूंसी गयी थी और मुंह पर तकिया रखा हुआ था. पुलिस हत्या का मामला मानकर जांच कर रही है.
पूरे घर में सामान बिखरा हुआ था. घर की 10 आलमारियों में एक को छोड़ सभी खुली हुई थीं. कपड़े बिखरे पड़े थे. दिलीप के हाथ की कलाई घड़ी गायब थी लेकिन दो अंगुलियों की अंगूठी मौजूद थीं. स्वपना के गले की सोने की चेन और मोबाइल फोन गायब था. वृद्ध के शव पर पाये गये निशान दम घुटने की ओर इशारा करते हैं, जबकि महिला का गला घोंट दिया गया होगा. घर पर लता नाम की एक महिला काम करती है. वह सुबह 10 से 10.30 बजे आती है और शाम करीब 5.30 बजे चली जाती है. वह अन्य जगह पर भी आया का काम करती है.
सोमवार की शाम को वह घर से चली गयी और मंगलवार की सुबह जब आयी तब उसे वृद्ध दंपती की मौत का पता चला. उक्त निसंतान दंपती के घर काम करने वाली लता के मुताबिक, उन दोनों का स्वभाव दोस्ताना था, जिस वजह से इनके घर अकसर लोगों का आना-जाना लगा रहता था. उसने काम करने के दौरान, कई प्रमोटर्स को उन्हें इस घर को बेच देने की सलाह देते हुए सुना भी था. घर के एक किरायेदार से पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि कुछ दिनों पहले वृद्ध ने बैंक से करीब 50 हजार रुपये निकाले थे.
वह किरायेदार भी उनके साथ बैंक गया था. घर से रुपये गायब थे. इसके अलावा उनके घर में हाल ही में रंग करवायी गयी थी. चार-पांच दिन पहले ही काम खत्म हुआ था. रंग करने वाला मिस्त्री, रोज नये मजदूर साथ लाता था. वृद्ध पैरालाइसिस के शिकार थे. इस वजह से दीपक जाना उर्फ बाबाई नाम का युवक सुबह और शाम दिलीप मुखर्जी को निचले और ऊपरी तल्ले पर ले आने व ले जाने के लिए आता था. महीने में एक-दो बार एक फिजियोथेरेपिस्ट भी उनके घर आते थे.
दिलीप व्यवसायी थे लेकिन कुछ वर्ष पहले उन्होंने व्यवसाय छोड़ दिया था. जिस व्यवसाय से जुड़े थे, उस बाबत उन्हें घरों में रंग करने वाले, प्लंबर व अन्य काम करने वाले मिस्त्री व मजदूरों से उनकी अच्छी पहचान थी. उनकी एक लाल डायरी भी पुलिस को मिली है, जिसमें मजदूरों के फोन नंबर हैं. पुलिस ने जांच के क्रम में सात लोगों से पूछताछ की है.