कई स्थानों पर हुई धर्म प्रभावना, श्रावक समाज में असीम उत्साह
कोलकाता : श्रमण संस्कृति के कोहिनूर, संपूर्ण भारत को अहिंसक व व्यसन मुक्त बनाने का सफलतम प्रयास करने वाले, श्रावक ही नहीं श्रमणाचार्यों के हृदय में निवास करने वाले, बुंदेलखंड के आदर्श रत्न- राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विरागसागरजी महाराज का विशाल ससंघ के साथ पश्चिम बंगाल की पावन धरा में प्रवेश हो चुका है. हावड़ा के बंगवासी में आचार्य संघ के प्रवेश पर हर्षोल्लास का माहौल दिखा.
पंचमी पर्व गुरुवर के सान्निध्य में मनाया गया. मंदिर की समस्त जिनवाणी को साज-सज्जा के साथ सिर पर रख महिला-पुरुषों ने विशाल जुलूस निकाला. पटखण्डागम आदि चारों अनुयोग के शास्त्र विराजमान कर सरस्वती पूजन किया गया, साथ ही पूज्य गणाचार्य भगवान के सिद्ध हस्तकमल से लिपिबद्ध की गयी सर्वोदया टीका की 25वीं (रजत) वर्षगांठ मनायी गयी.
पूज्य आचार्य कुंदकुंद स्वामी के ग्रंथों पर लिखी गयी प्रथम एवं इक्कीसवीं सदी की महान (वारसाणु पेक्खा पर सर्वोदया तथा श्यणसार पर रत्नत्रयवर्धिनी) टीकाओं को विशेष साज-सज्जा के साथ विराजमान किया गया और बुद्धि- रिद्धि वर्धक श्रुतस्कंध विधान की विशाल रुप में आयोजना की गई. भक्तों की प्रार्थना पर ध्यान देते हुए पूज्य गुरुदेव ने विवेक विहार आदि कॉलोनी में जिन चैत्यालय के दर्शन भी किये. यहां अष्ट दिवसीय प्रवास पूर्ण कर पूज्य गुरुदेव ससंघ डबसन रोड के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पधारें. गुरुदेव की आगवानी में यहां दीप लिये महिलाओं की पंक्ति ऐसी सुशोभित हो रही थी जैसे मानो दीपावली पर्व हो. यहां छह: दिवसीय प्रवास में पूज्य गणाचार्य भगवान द्वारा प्रवचन माला एवं माताजी द्वारा महिला प्रशिक्षण का सेमिनार हुआ. बड़ी धूम-धाम से भक्तामार महामंडल विधान किया गया. इसके बाद कोलकाता के बेलगछिया में श्री संघ का विशाल जुलूस के साथ अभूतपूर्व आगमन हुआ. यहां पूर्व से विराजमान श्रमणाचार्य श्री सुबल सागरजी महाराज एवं मुनिश्री सुपार्श्वसागरजी महाराज ससंघ ने गुरुवर की भव्य आगवानी की. संत मिलन का मनोरम दृश्य देखने को मिला. इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज ने तीनों संघों को बेलगछिया में चातुर्मास करने हेतु निवेदन करते हुए श्रीफल भेंट किया. पूज्य गुरुदेव ने भी धर्म के प्रति उनकी चाहना को देखकर चातुर्मास का आश्वासन दिया. गुरुदेव यहां से ससंघ विहार करते हुए बड़ाबाजार पहुंचे. यहां पर अत्यंत सुंदर 44 माड़ने माड़कर 44 से भी अधिक जोड़ों व अपार जनसमूह ने धर्म प्रभावना पूर्ण कल्याण मंदिर का विधान किया. इसके बाद परम पूज्य गणाचार्य गुरुदेव ससंघ ने चौरंगी एवं कांकुड़गाछी में धर्म प्रभावना करते हुए कोलकाता की समग्र कॉलोनी को धर्ममय बना दिया. कोलकाता वासियों को विगत 19 वर्षों से पूज्य गुरुदेव ससंघ का बेसब्री से इंतजार था. वे गुरुदेव से हर वर्ष निवेदन करते थे. इस वर्ष अपने आराध्य की अभिवंदना का पुण्यावसर पाकर सभी प्रसन्नचित हैं.