कोलकाता : लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस से पल्ला झाड़ कर भाजपा का दामन थामने वालों की चांदी रही. हालांकि सत्ता का सुख यादवपुर से भजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले प्रो. अनुपम हाजरा के तकदीर में नहीं रहा. भाजपा नेताओं की मानें तो वीरभूम के तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अणुव्रत मंडल का पैर पकड़ने और पार्टी दफ्तर में जाने की घटना को लोगों ने गंभीरता से लिया और उनको खारिज कर दिया.
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हवा का रुख भांपकर भाजपा में जानेवालों की बल्ले-बल्ले
कोलकाता : लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस से पल्ला झाड़ कर भाजपा का दामन थामने वालों की चांदी रही. हालांकि सत्ता का सुख यादवपुर से भजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले प्रो. अनुपम हाजरा के तकदीर में नहीं रहा. भाजपा नेताओं की मानें तो वीरभूम के तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अणुव्रत मंडल का पैर […]
भाजपा में शामिल होनेवाले तृणमूल कांग्रेस के बहिष्कृत व ब्लैक लिस्टेड युवा नेता निशीथ प्रमाणिक ने भाजपा का दामन थामा तो उनकी बल्ले-बल्ले हो गयी. ममता बनर्जी की भृकुटी को नजर अंदाज कर वह अब लोकसभा की शोभा बढ़ाने जा रहे हैं.
हालांकि सबसे आकर्षक लड़ाई विष्णुपुर के उम्मीदवार सौमित्र खां की रही. सौमित्र का तृणमूल कांग्रेस से मोह भंग होने के बाद जैसे ही वह भाजपा में शामिल हुए तो राज्य सरकार की ओर से बदले की कार्रवाई के तहत एक के बाद एक कई मामलों में उनको आरोपी बना दिया गया. आलम यह था कि अपने संसदीय क्षेत्र में वह प्रचार के लिए भी नहीं जा पाये.
प्रचार की कमान उनकी पत्नी ने संभाल रखी थीं. आखिरकार उनके चेहरे पर खुशी देखी गयी. साल 2006 से तृणमूल कांग्रेस के साथ 13 सालों से सफल संबंध निभाने वाले सौमित्र के साथ पार्टी के रिश्तों में खटास आयी तो वह पार्टी से दूर चले गये. 2011 में कोतुलपुर से विधानसभा में पहुंचने वाले सौमित्र 2014 में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर विष्णुपुर से सांसद बने. इस बार भी वह वहीं से सासद बने लेकिन इस बार वह भाजपा का प्रतिनिधित्व करेंगे.
बैरकपुर से दिनेश त्रिवेदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे अर्जुन सिंह भी अंतत: कामयाब रहे. साल 2001 में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर भाटपाड़ा विधानसभा केंद्र से विधानसभा पहुंचने वाले अर्जुन सिंह ने ममता बनर्जी के अनुरोध को ठुकराते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था. उनके इस कदम से नाराज ममता बनर्जी ने मुकुल राय की तर्ज पर इनको भी गद्दार का खिताब दिया था.
अर्जुन सिंह 2004 में बैरकपुर लोकसभा से चुनाव लड़े थे और हार का सामना किये थे. लेकिन भाजपा का टिकट मिलते ही उन्होंने अपनी पुरानी हार को जीत में बदल दिया, जबकि कूचबिहार से निशीथ प्रमाणिक को तृणमूल कांग्रेस ने पार्टी से 2018 में बहिष्कृत कर दिया था. वह अब भाजपा के टिकट पर विजयी हंसी हंस रहे हैं.
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