कोलकाता : राज्य सरकार ने सुसाइड गेम्स से बच्चों की रक्षा के लिए कदम उठाया है. ब्लू व्हेल, मोमो समेत कई अन्य ऐसे मोबाइल गेम इंटरनेट पर मौजूद है, जिनकी चपेट में आने व खेलने के दौरान कई मासूमों ने खुदकशी कर ली, लेकिन अब इन गेम्स से बच्चों को बचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से विशेष पहल के रूप में पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया है.
रविवार को राज्य शिक्षा विभाग ने बताया कि स्कूल पाठ्यक्रम में उन विषयों को शामिल किया जायेगा, जिनके अध्ययन के बाद बच्चे मोबाइल गेम के जानलेवा खतरों के प्रति जागरूक हो सकें. सबसे पहले शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे तकनीक आधारित मोबाइल गेम के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें. इसके बाद उन्हें बच्चों को पढ़ने लायक बनाया जायेगा. साथ ही स्वास्थ्य शिक्षा में इसे पाठ्यक्रम के रूप में जोड़ा जायेगा.
20 से अधिक हैं मोबाइल गेम
इतना ही नहीं ब्लू व्हेल के अलावा 20 से अधिक ऐसे मोबाइल गेम हैं जो खेलने वालों को खुदकशी के लिए प्रेरित करने का काम करते हैं. ऐसे सभी गेम को सूचीबद्ध कर इन के बारे में पाठ्यक्रम में पढ़ाया जायेगा, ताकि बच्चे जागरूक रहें व इनके चपेट में ना आ सकें.
महानगर में शुरू हुआ गेमिंग कैफे
दूसरी ओर, कोलकाता में पूर्वी भारत का एनवीडिया गोल्ड-सर्टिफाइड कैफे शुरू हुआ. यह एंडोर्समेंट एनवीडिया के फ्लैगशिप सर्टिफिकेशन प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसमें भारत में गेमिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिये देश के सर्वश्रेष्ठ गेमिंग व्यवसायों को पहचानकर सशक्त किया जाता है.
जोन कैफे के संस्थापक रोहित लुंडिया ने कहा कि जोन कैफे का गोल्ड सर्टिफिकेशन एनवीडिया द्वारा भारत में गेमिंग उद्योग को बढ़ावा देने के बड़े प्रयासों का हिस्सा है. दक्षिण एशिया में उपभोक्ता विपणन प्रमुख वामसी कृष्णा ने कहा कि एनवीडिया में भारतीय गेमर्स को विश्व-स्तरीय अनुभव देना चाहते हैं और इसके लिये गेमिंग कैफे महत्वपूर्ण हैं.
गेम से घट चुकी हैं खुदकुशी जैसी कई घटनाएं
गौर हो कि पिछले साल अगस्त माह में मोमो गेम की दहशत रही व दावा किया गया कि गेम के चंगुल में फंस कर एक स्कूल छात्रा समेत तीन लोगों ने खुदकशी की थी. उसके पहले ब्लू व्हेल गेम की वजह से राज्य में आठ बच्चों ने खुदकशी की थी. वहीं इन गेम्स को डाउनलोड करने के बाद इसमें तरह-तरह की चुनौतिया दी जाती हैं, जिसमें खुद को नुकसान पहुंचाना, हाथ पैर काटना, बिल्डिंग से कूदना व ऐसा करते हुए सेल्फी लेकर अपलोड करने को कहा जाता है और आखिरकार खुदकशी के लिए विवश कर दिया जाता है.
इतना ही नहीं गेम को बीच में छोड़ने पर बच्चों के परिजनों या अन्य संगे संबंधियों की हत्या की धमकी दी जाती है. मोबाइल गेम में फंसे बच्चे इसे समझ नहीं पाते हैं व आखिरकार खुदकशी कर लेते हैं. अब राज्य सरकार ने इसके प्रति जागरूकता फैलाने की पहल शुरू करते हुए विशेष तौर पर पाठ्यक्रम शुरू करने की बात कही है.