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सम्राट अशोक की मृत्यु की तहकीकात के लिए केंद्र सरकार बनाये कमेटी : भंते तिस्सवारो, पाल-बौद्ध महोत्सव का आयोजन करे बंगाल सरकार

अजय विद्यार्थी, कोलकाता : प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु और मध्य और दक्षिण भारत में बुद्ध अवशेष बचाओ अभियान के प्रणेता भंते तिस्सावारो ने सम्राट अशोक की मृत्यु की जानकारी के लिए एक कमेटी गठित करने और बंगाल के इतिहास में पाल वंश के योगदान के मद्देनजर बंगाल सरकार से पाल-बौद्ध महोत्सव आयोजित करने की मांग की […]

अजय विद्यार्थी, कोलकाता : प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु और मध्य और दक्षिण भारत में बुद्ध अवशेष बचाओ अभियान के प्रणेता भंते तिस्सावारो ने सम्राट अशोक की मृत्यु की जानकारी के लिए एक कमेटी गठित करने और बंगाल के इतिहास में पाल वंश के योगदान के मद्देनजर बंगाल सरकार से पाल-बौद्ध महोत्सव आयोजित करने की मांग की है. सोमवार को भिक्षु तस्सावरो केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास आठवले और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस बाबत ज्ञापन देंगे.
सोमवार को श्री अाठवले के नेतृत्व में रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के तत्वावधान में धर्मतला में सभा होगी. इस सभा में निरंजना-फाल्गू नदी के लिए प्राधिकरण गठन करने की मांग की जायेगी.
भिक्षु तिस्सावरो ने प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कहा कि ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में सम्राट अशोक अगर नहीं होते तो हमें गौतम बुद्ध की जानकारी नहीं मिलती. सम्राट अशोक ने ही देश को गौतम बुद्ध के बारे में बताया है.
उन्होंने कहा कि कई पुस्तकों में लिखा है कि सम्राट अशोक की सौ रानियां थीं, लेकिन ये बातें पूरी तरह से झूठ है. विभिन्न साहित्यों के अध्ययन से यह साफ है कि सम्राट अशोक की छह पत्नियां थीं. उन्होंने कहा कि भारत के कई विश्वविद्यालयों में बौद्ध विभाग है. सम्राट अशोक के बारे में बहुत सारी जानकारियां हैं. सैकड़ों शोधकर्ताओं ने सम्राट अशोक पर पीएचडी की है, लेकिन सम्राट अशोक की मृत्यु का उल्लेख किसी भी शोध या पुस्तक में नहीं है.
इतिहासकार रोमिला थापर की पुस्तकों में भी इसका उल्लेख नहीं मिलता है. भारत के किसी भी इतिहासकार ने सम्राट अशोक की मृत्यु का जिक्र या उल्लेख या स्थान नहीं बताया हैं. किवदंती है कि सम्राट अशोक की मृत्यु पटना में हुई थी, लेकिन कहीं इसके साक्ष्य नहीं मिलते हैं.
उन्होंने कहा कि जिस राजा ने हमें अशोक स्तंभ दिया, जिसने गौतम बुद्ध दिया, जिस राजा ने हमारे देश में चौरासी हजार स्तंभ बनाये, उनमें कभी भी अपने नाम का उल्लेख नहीं किया, लेकिन उसमें पशुओं के लिए पानी पीने, उनके चारे की व्यवस्था, गरीबों के लिए पानी पीने की व्यवस्था, पेड़ लगाओ, धर्मशाला खोला, गांव में रास्ते बनायो व शिक्षा की व्यवस्था करो, का उल्लेख मिलता है. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक विश्व के पहले पर्यावरणविद् थे. ऐसे राजा की मृत्यु कहां हुई ? यह जानकारी इतिहासकार के पास नहीं है.
उन्होंने कहा : मेरे पास सम्राट अशोक की 8000 पुस्तकें हैं. इनमें से किसी में भी सम्राट अशोक की मूर्ति नहीं है. कर्नाटक में संनती नाम का गांव है. वहां की खुदाई भारतीय पुरात्व विभाग ने की है. उस खुदाई में सम्राट अशोक की मूर्ति मिली है और अशोक काल के बहुत सारे अ‍वशेष मिले हैं. उन्होंने दावा किया कि सम्राट अशोक की मृत्यु वहीं हुई होगी. यह मूर्ति सम्राट अशोक की मृत्यु के दो सौ साल बाद बनी है. सम्राट अशोक के वंशजों ने इस मूर्ति का निर्माण किया होगा.
उन्होंने मांग की कि भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय सम्राट अशोक की मृत्यु पर शोध के लिए एक कमेटी बनाये. इसमें शोधकर्ता, पत्रकार, इतिहासकार और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भी रहें.
उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक और बंगाल का गहरा संबंध था. बंगाल में दो राजवंशों का शासन था : सेनगुप्त और पाल. पाल वंश पूर्णत: अशोक के संबंधी व अनुयायी थे. अशोक की मृत्यु के बाद नालंंदा विश्वविद्यालय व बोध गया का अधूरा कार्य पाल राजाओं ने पूरा किया था. पाल राजाओं ने बांग्लादेश (वर्तमान) व बंगाल में ‍बौद्ध मंदिर बनाये थे.
उनकी मांग पर बिहार सरकार ने समिनार भी अायोजित किये थे. जिसका उद्घाटन दलाई लामा ने किया था, लेकिन दु:खद बात है कि बंगाल सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. बंगाल सरकार पाल-बौद्ध महोत्सव का आयोजन करें, ताकि हिंसा के वातावरण में इससे समाज में अहिंसा का संदेश मिले.

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