कोलकाता/सागरदीघी : सीआरपीएफ के जवान मतिउर रहमान का एक सप्ताह के बाद घर आने की बात थी, लेकिन उसके पहले ही उसकी मृत्यु की खबर घर पहुंच गयी. शहीद मीर मतिउर रहमान की मां आएशा वेवा यही बोल कर रो-रो कर बेहाल हो रही हैं और कुछ देर के बाद अचेत हो जाती हैं. शनिवार को रूटीन पेट्रोलिंग के दौरान माओवादियों द्वारा बिछाये गये लैंडमाइन विस्फोट में छत्तीसगढ़ के सुदर्शन कैंप के चार सीआरपीएफ जवान शहीद हो गये थे.
उसमें ही एक जवान मतिउर रहमान था. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से जुड़े मतिउर 1988 में सीआरपीएफ में शामिल हुए थे. सीआरपीएफ में नौकरी करने के बाद घर की आर्थिक स्थिति सुधरी थी. उनके एक पुत्र एवं एक पुत्री हैं. पुत्री का विवाह कुछ समय पहले ही किये हैं. पुत्र मीर साइदुल मेडिकल के छात्र हैं. हावड़ा के सांतरागाछी में पढ़ाई कर रहे हैं.
मतिउर के भाई मनिरुल रहमान ने बताया कि कुर्बानी में भैया को छुट्टी नहीं मिली थी. कुर्बानी के दो दिनों के बाद 15 दिनों के लिए घर आये थे. नवंबर के प्रथम सप्ताह दो माह की छुट्टी पर घर आने वाले थे, लेकिन उसके पहले ही सब कुछ समाप्त हो गया. कल मृत्यु की खबर सुनने के साथ ही बार-बार उनकी पत्नी सुरया खातून बेहोश हो जा रही हैं.
शहीद होने की सूचना मिलने के बाद जंगीपुर के सांसद अभिजीत मुखर्जी उनके घर पहुंचे और परिवार के सदस्यों को सांत्वना देने के साथ-साथ साथ हर संभव मदद का अश्वासन दिया.