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डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र को घर पर सौंपा पद्मश्री

कोलकाता : साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से विभूषित मूर्धन्य साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र को यह सम्मान राज्य के गृह सचिव ने उनके बेलियाघाटा स्थित आवास पर जाकर दे दिया. इसके बाद डॉ मिश्र ने कहा कि वे देश के प्रति कृतज्ञ हैं एवं इस अलंकरण को स्पर्श […]

कोलकाता : साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से विभूषित मूर्धन्य साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र को यह सम्मान राज्य के गृह सचिव ने उनके बेलियाघाटा स्थित आवास पर जाकर दे दिया. इसके बाद डॉ मिश्र ने कहा कि वे देश के प्रति कृतज्ञ हैं एवं इस अलंकरण को स्पर्श करने का सुख उनके लिए अनिर्वचनीय है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर राज्य के गृह-सचिव अत्रि भट्टाचार्य ने 7 बी हरिमोहन राय लेन स्थित उनके घर पर जाकर पद्मश्री का पदक और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर से युक्त मानपत्र श्री मिश्र को सुपुर्द किया. गुरुवार को दोपहर करीब 1.45 बजे गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य, विधाननगर कमिश्नरेट के पुलिस आयुक्त (सीपी) ज्ञानवंत सिंह, पुलिस उपायुक्त देवस्मिता दास (डीसी-ईएसडी) और स्थानीय इंटाली थाने के प्रभारी (ओसी) सुप्रिय कुमार पाल एवं कई अन्य पुलिसकर्मियों के साथ उनकी कई गाड़ियों का काफिला बेलियाघाटा स्थित डॉ मिश्र के आवास पर पहुंचा. उस समय उनके परिवार के लोग, जिनमें चारों पुत्र-पुत्रवधुएं एवं पौत्र-पौत्री घर पर ही थे. यह पूछने पर कि भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान को पाने एवं स्पर्श करने पर कैसा लग रहा है, डॉ मिश्र ने कहा कि इतने बड़े देश के नागरिक-सम्मान को पाने एवं स्पर्श करने का सुख अवर्णनीय है. इससे मुझमें देश के प्रति कृतज्ञता-भाव एवं दायित्व-बोध बढ़ गया है. 20 मार्च 2018 की तारीख से दिनांकित मानपत्र में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र को संबोधित करते हुए लिखा है : ‘मैं भारत का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, व्यक्तिगत गुणाों के लिए आपके सम्मानार्थ पद्मश्री प्रदान करता हूं.’
सम्मान देने के लिए आये सुरक्षाकर्मियों के काफिले को देख कर हरिमोहन राय लेन में अजीब उत्साह एवं कौतूहल दिखा. बाद में कई स्थानीय लोगों ने कहा कि डॉ मिश्र को मिले इस सम्मान से हम सब गर्वोन्नत हैं. ऐसा लग रहा है मानो बेलियाघाटा इलाके को राष्ट्रीय पहचान मिल गयी है.
डॉ मिश्र की पहचान देशभर में ललित निबंधकार के रूप में है. रामकृष्ण परमहंस के लीला-प्रसंग पर ‘कल्पतरु की उत्सवलीला’ नामक ग्रंथ रच कर वे ज्ञानपीठ का प्रतिष्ठित मूर्ति देवी पुरस्कार पा चुके हैं. विश्वविद्यालयों और शिक्षा प्रतिष्ठानों के सारस्वत प्रसंगों में उनकी सक्रिय भूमिका रही है. उन्होंने अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विचार-गोष्ठियों में भागीदारी की है. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल ने अपने प्रथम दीक्षांत समारोह में डॉ मिश्र को डीलिट की मानद उपाधि से नवाज़ा. उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के साहित्य भूषण एवं महात्मा गांधी पुरस्कार से अलंकृत किया जा चुका है. इसके अलावा वे आचार्य विद्यानिवास मिश्र सम्मान और डॉ हेडगेवार पुरस्कार से भी विभूषित किये जा चुके हैं.

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