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पश्चिम बंगाल : चंपारण सत्याग्रह के बीज पुरुष हैं पंडित राजकुमार शुक्ल : राज्‍यपाल

कोलकाता : पंडित राजकुमार शुक्ल चंपारण आंदोलन की बीज पुरुष हैं. वह चंपारण के निलहे किसानों के आंदोलन के आदि स्वर थे. महात्मा गांधी ने उनके मन की कराह को सुना और किसानों की आवाज बने. भितिहरवा आश्रम जीवन कौशल ट्रस्ट के तत्वावधान में रविवार को कोलकाता के कलाकुंज में महात्मा गां‍धी के कोलकाता से […]

कोलकाता : पंडित राजकुमार शुक्ल चंपारण आंदोलन की बीज पुरुष हैं. वह चंपारण के निलहे किसानों के आंदोलन के आदि स्वर थे. महात्मा गांधी ने उनके मन की कराह को सुना और किसानों की आवाज बने. भितिहरवा आश्रम जीवन कौशल ट्रस्ट के तत्वावधान में रविवार को कोलकाता के कलाकुंज में महात्मा गां‍धी के कोलकाता से चंपारण प्रस्थान की शतवार्षिकी समारोह का उद्घाटन के अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने ये बातें कहीं.

उन्होंने कहा कि कोलकाता में शतवार्षिकी समारोह का आयोजन एक सराहनीक कार्य है. ट्रस्ट के इस प्रयास से नयी पीढ़ी को गांधी और कस्तूरबा के साथ पंडित राजकुमार शुक्ल के बारे में जानकारी प्राप्त होगी. साथ ही आज की युवा पीढ़ी को आदर्श की अकाल बेला में उन्हें अपना आदर्श चुनने का विकल्प मिलेंगे.

मंचस्थ मूर्धन्य साहित्यकार पद्मश्री डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने कहा कि मेरा विश्वास है कि गांधी जी की तरफ ही पंडित राजकुमार शुक्ल भी अध्यात्म के पथ के पथिक थे. तभी तो उन्होंने पौरुषवान सत्याग्रही के रूप में लोक की वेदना के साथ गांधी की संवेदना को जोड़ने का उपक्रम किया. उन्होंने कहा, ऐसा करके उन्होंने इतिहास रचा है. चंपारण के पंडित शुक्ल अपनी दु:ख से दु:खी नहीं थे, बल्कि उन्होंने आम लोगों के दु:ख को अपना दु:ख माना.

उन्‍होंने कहा कि किसानों की पीड़ा ने उन्हें इतना व्यग्र किया कि वह इसका समाधान की खोज में लग गए. गांधीजी के प्रति उनमें आस्था और विश्वास था कि गांधीजी ही किसानों की पीड़ा हर सकते हैं. गांधीजी को चंपारण ले जाने के लिए उन्होंने कई बार प्रयास किया था. पंडित शुक्ल ने इसी कोलकाता में गांधीजी को बिहार के चंपारण जाने के लिए तैयार किया और ले भी गये.

विशिष्ट अतिथि सांसद एवं वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने कहा, कि दबे हुए गरीब किसानों की मुक्ति के लिए जो मशाल गांधी जी ने जलायी थी. उसके प्रेरक तत्व तो पंडित राजकुमार शुक्ल ही थे. चंपारण आंदोलन की मशाल ने ही देश के स्वतंत्रता संग्राम को हवा दी. उन्होंने कहा कि इतिहास ही वह रोशनी है, जिससे हम अतीत को देख सकते हैं और उससे सबक लेकर भविष्य के लिए रास्ता बना सकते हैं. आज की समस्याओं का समाधान हम अपने इतिहास के प्रेरक प्रसंगों से प्रेरणा लेकर कर सकते हैं, लेकिन वर्तमान में गहन शोध और धर्य का अभाव दिखता है.

भितिहरवा आश्रम जीवन कौशल ट्रस्ट के अध्यक्ष शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, कि ट्रस्ट द्वारा इस कार्यक्रम के आयोजन उन जगहों पर किया जायेगा, जहां चंपारण आंदोलन की आवाज उठी थी. कार्यक्रम का संचालन ज्ञानदेव त्रिपाठी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के संयोजक राज दत्त पांडेय किया. कार्यक्रम के अंत में चंपारण सत्याग्रह पर आधारित डॉक्यु ड्रामा नीले रंग की लाल कहानी का प्रदर्शन भी किया गया. राजभाषा विभाग की डॉ सवीता सिंह ने गांधी जी के कई प्रिय गीतों को प्रस्तुत किया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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