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रामनवमी पर बंगाल में हिंसा : एनएचआरसी का सरकार, डीजीपी को नोटिस, चार सप्ताह में मांगा जवाब

नयी दिल्ली/ कोलकाता : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने रामनवमी के त्योहार के दौरान आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में हुई हिंसा का शिकार हुए लोगों की स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करने में कथित तौर पर विफल रहने के लिये प बंगाल सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया. हालात पर गंभीर चिंता जताते […]

नयी दिल्ली/ कोलकाता : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने रामनवमी के त्योहार के दौरान आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में हुई हिंसा का शिकार हुए लोगों की स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करने में कथित तौर पर विफल रहने के लिये प बंगाल सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया.

हालात पर गंभीर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है. एनएचआरसी ने एक वक्तव्य में कहा कि उसने महानिदेशक (जांच) से यह भी कहा है कि वह कम से कम एसएसपी रैंक के अधिकारी को वास्तविक हालात का आकलन करने के लिए घटनास्थल पर जाकर जांच करने के लिए आसनसोल-रानीगंज के अशांत क्षेत्रों में भेजें. आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में रामनवमी के मौके पर दो समूहों के बीच हिंसक झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी. संघर्ष में दो पुलिस अधिकारी भी घायल हो गये थे.

एनएचआरसी ने कहा कि उसने उन खबरों का स्वत: संज्ञान लिया है जिसमें निर्दोष लोगों के जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकार की रक्षा करने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के विफल रहने का आरोप लगाया गया था. ये लोग गत 25 मार्च से पश्चिम बंगाल के आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में हुई हिंसा के शिकार हुए हैं. आयोग ने एक वक्तव्य में कहा, ‘मीडिया में आयी खबरों के अनुसार जिन लोगों ने पुलिस से सहायता मांगने के लिए हेल्पलाइन नंबर 100 पर डायल किया, उन्होंने बताया कि कोई पुलिसकर्मी उनकी मदद करने के लिए नहीं आया. उपद्रवी भीड़ ने सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है.’

आयोग ने एक वक्तव्य में कहा, ‘खबरों के अनुसार विभिन्न समुदायों के ऐसे अनेक परिवार हैं, जिन्होंने मौजूदा हिंसा में अपना सबकुछ गंवा दिया है.’ हालांकि, आसनसोल के पुलिस आयुक्त ने कहा है कि हालात नियंत्रण में है और अफवाहों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने में लाउड स्पीकरों का इस्तेमाल किया जा रहा है और बड़ी संख्या में संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. आयोग ने कहा, ‘कई खबरों में यह भी कहा गया है कि अनेक पीड़ितों ने बताया कि जब भीड़ ने पीड़ितों पर हमला किया, तो पुलिस कुछ क्षण के लिए रही और वहां से गायब हो गयी. इसके अलावा, प्रभावित क्षेत्रों में बीमारी से पीड़ित और गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं.’

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