आसनसोल. भाजपा ओबीसी मोर्चा अंडमान निकोबार के प्रभारी सह मोर्चा के केंद्रीय कमेटी के सदस्य शंकर चौधरी ने आसनसोल सीट पर भाजपा उम्मीदवार एसएस आहलूवालिया के चयन को गलत करार देते हुए पार्टी फैसले पर सवाल खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा कि एक उम्मीदवार के गलत चयन से पश्चिम बंगाल में भाजपा को तीन सीटें गंवानी पड़ी. आसनसोल साउथ की विधायक व जुझारू नेत्री अग्निमित्रा पाल को आसनसोल की बजाय मेदिनीपुर में भेज दिया गया और वहां के सांसद रहे दिलीप घोष को बर्दवान दुर्गापुर सीट पर भेज दिया गया तथा बर्दवान दुर्गापुर सीट के निवर्तमान सांसद श्री आहलूवालिया को आसनसोल भेज दिया गया. आसनसोल में श्रीमती पाल की पकड़ थी, मिदनापुर में श्री घोष की पकड़ थी, बर्दवान दुर्गापुर सीट पर श्री अहलुवालिया सांसद रहे, वहां उन्होंने पांच वर्ष में जो बनाया है, उसपर वह मैदान में लड़ते तो शायद इतना घाटा नहीं होता. 2019 में तीनों सीटें भाजपा की थी, जो इस बार गंवानी पड़ी. श्री चौधरी ने गुरुवार को आसनसोल मुख्य पोस्ट ऑफिस के निकट स्थित भाजपा कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं. गौरतलब है कि वर्ष 2014 और 2019 में बाबुल सुप्रियो को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया और दोनों ही बार वह जीते थे. वर्ष 2021 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी और अपने सांसद पद से भी इस्तीफा दिया. जिसके उपरांत वर्ष 2022 में उपचुनाव हुआ और तृणमूल उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा उम्मीदवार अग्निमित्रा पाल को तीन लाख से अधिक वोटों के अंतर से पराजित किया. इस बार के चुनाव में भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची में ही आसनसोल सीट से भोजपुरी सिनेमा के चर्चित पावर स्टार पवन सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन दूसरे दिन ही उन्होंने आसनसोल सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. इसके बाद आसनसोल सीट पर उम्मीदवार को लेकर रहस्य बना रहा. अंतिम समय में चुनाव के 33 दिन पहले 10 अप्रैल को पार्टी ने श्री आहलूवालिया के नाम की घोषणा की. उनके नाम की घोषणा होते ही पार्टी में विरोध की लहर चली. श्री चौधरी ने बताया कि बर्दवान दुर्गापुर के सांसद रहने के दौरान श्री आहलूवालिया अपने क्षेत्र में काफी कम जाते थे, लोगों से और पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं से भी काफी कम मिलते थे. ऐसे में उन्हें आसनसोल सीट से टिकट देने का निर्णय पार्टी का गलत निर्णय रहा. इस बीच आसनसोल से अग्निमित्रा पाल को मेदिनीपुर भेज दिया गया. वहां दिलीप घोष की जमीन तैयार थी, उन्हें वहां से हटा कर बर्दवान दुर्गापुर भेज दिया गया. पार्टी का यह निर्णय समझ से परे रहा. एक गलत निर्णय के कारण तीन सीटों को गंवाना पड़ा. जिसका भारी खामियाजा कार्यकर्ताओं को भुगतना पड़ रहा है.
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