दुर्गापुर.
डीवीसी के अधीन दुर्गापुर थर्मल पावर स्टेशन(डीटीपीएस) की जमीन पर वर्षों से बसी डांगपाड़ा बस्ती को हटाने के प्रयास के दौरान शनिवार को स्थिति तनावपूर्ण हो गयी. भूमि अधिग्रहण के लिए पहुंचे डीवीसी अफसरों को स्थानीय लोगों के विरोध झेलना पड़ा. बस्ती की महिलाएं हाथों में झाड़ू लेकर उग्र प्रदर्शन पर उतर आयीं. हालात को काबू में रखने और सुरक्षा के लिए सीआइएसएफ व राज्य पुलिस की बड़ी तैनाती की गयी.पुनर्वास के बिना जमीन छोड़ने से इनकार
आंदोलन कर रहे बस्तीवासियों का कहना है कि वे लंबे समय से यहां रह रहे हैं. यदि बिना पुनर्वास व्यवस्था उनके घर तोड़े गए, तो उनके सामने रहने का संकट खड़ा हो जाएगा. उनका साफ कहना है कि पहले पुनर्वास दिया जाए, उसके बाद ही जमीन खाली की जायेगी.1700 एकड़ जमीन की जरूरत, छह माह से नोटिस
डीवीसी की ओर से दुर्गापुर में 800 मेगावाट क्षमता वाले ताप विद्युत संयंत्र के निर्माण के लिए करीब 1700 एकड़ जमीन की जरूरत बताई गई है. इस जमीन पर सैकड़ों परिवार वर्षों से बस्ती बनाकर रह रहे हैं. डीवीसी प्रबंधन बीते छह महीनों से नोटिस दे रहा है, लेकिन बस्तीवासी पुनर्वास की मांग पर अड़े हुए हैं.स्थानीय लोगों में उबाल, प्रबंधन पर सवाल
स्थानीय निवासी शोभना राय ने कहा कि डीवीसी प्रबंधन झूठे आश्वासन दे रहा है. बस्ती में करीब 700 घर हैं और मौजूदा हालात में लोगों के पास जाने के लिए कोई विकल्प नहीं है. जब तक पुनर्वास नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा.डीवीसी प्रबंधन का पक्ष
डीवीसी के सीनियर जनरल मैनेजर अमित मोदी ने कहा कि परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन विरोध के कारण कार्य बाधित हो रहा है. ऐसे हालात परियोजना के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं.राजनीतिक बयानबाजी तेज
तृणमूल के पूर्व पार्षद स्वरूप मंडल ने कहा कि बस्तीवासी पावर प्लांट निर्माण का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन जमीन खाली करने से पहले पुनर्वास जरूरी है. भाजपा विधायक लखन घरुई ने भी पुनर्वास की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि कारखाने का विस्तार जरूरी है, लेकिन वर्षों से रह रहे लोगों को पुनर्वास मिलना भी उतना ही जरूरी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

