सालानपुर/रानीगंज.
विज्ञान के आगे कोई समस्या असंभव नहीं है, यह बात बाराबनी विधानसभा क्षेत्र के सालानपुर फुलबेड़िया बोलकुंडा ग्राम पंचायत अंचल के पर्वतपुर गांव में सच कर दिखायी गयी है. करीब ढाई हजार की आबादी वाले इस गांव में वर्षों से पीने के पानी की गंभीर समस्या थी. ग्रामीणों को रोज़ाना दो-तीन किलोमीटर दूर जाकर पीने का पानी लाना पड़ता अथवा, टैंकर के पानी पर निर्भर रहना पड़ता था. दरअसल, यह गांव अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित है, जिससे पीएचई की ओर से पाइपलाइन बिछाये जाने और जलापूर्ति के इंतजाम के बावजूद लोगों के घरों में लगे नलों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा था. स्थानीय विधायक विधान उपाध्याय के अथक प्रयासों, जिलाशासक से संपर्क और यहां तक कि आइआइटी मुंबई के विशेषज्ञों की सलाह भी शुरू में कोई ठोस हल नहीं कर पायी थी, क्योंकि समस्या गांव की भौगोलिक ऊंचाई थी.विज्ञान व सहयोग से निकला समाधान
समस्या की विकरालता को देखते हुए, आईआईटी मुंबई के विशेषज्ञों ने पर्वतपुर के लिए एक विशेष ””डिज़ाइन”” तैयार किया, जिसे ””शाफ़्ट पद्धति”” के नाम से जाना जाता है हालांकि, शुरुआत में फंड की कमी के कारण इस महत्वाकांक्षी परियोजना को आगे बढ़ाना मुश्किल हो रहा था. अंततः, विधायक विधान उपाध्याय ने कोल इंडिया(सीआइएल) से संपर्क साधा और उसके सहयोग से इस परियोजना को पूरा करने का रास्ता साफ हुआ. पर्वतपुर गांव की प्रधान तनुश्री मुखर्जी ने इस पूरे प्रयास में महती भूमिका निभायी. उन्होंने हर संभावना को टटोला और विज्ञान का सहारा लेकर समस्या का समाधान निकाला.कोल इंडिया के सहयोग से ””शाफ्ट पद्धति”” का उपयोग करते हुए लगभग 18 किलोमीटर दूर अजय नदी से पानी को पर्वतपुर तक लाना संभव हो पाया. यह पद्धति पश्चिम बंगाल में आइआइटी मुंबई ने लागू की. पहला ऐसा प्रयोग है, जिसके माध्यम से ऊंचाई पर स्थित लोगों के घर-घर पानी पहुंचाया जा रहा है. अब गांव के लोगों को दो-दो दिन बाद भरपूर पानी मिल रहा है.
बुनियादी समस्याओं का भी निराकरण
इस सफलता से गांव के लोग प्रधान तनुश्री मुखर्जी और उनके पति गोपी कांत मुखर्जी के प्रयासों से बेहद खुश हैं. ग्रामवासियों का कहना है कि प्रधान ने न केवल पीने के पानी की विकराल समस्या को दूर किया है, बल्कि गांव की कई बुनियादी समस्याओं जैसे स्ट्रीट लाइट, निकासी व्यवस्था, रास्तों की मरम्मत, आंगनबाड़ी भवन और प्राथमिक स्कूल भवन की मरम्मत का भी निराकरण किया है.
प्रधान तनुश्री मुखर्जी के पति गोपी कांत मुखर्जी ने बताया कि उनकी पत्नी इस क्षेत्र के विकास के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि ऊंचाई पर होने के कारण पानी की समस्या ने विकराल रूप ले लिया था, लेकिन विधायक के सहयोग से अब यह समस्या हल हो गई है. उन्होंने यह भी बताया कि फ़िलहाल गांव में बढ़ती बेरोज़गारी पर काबू पाने के लिए स्वयं सहायता समूह(सेल्फ-हेल्प ग्रुप) बना कर प्रयास किये जा रहे हैं. यह सफलता दर्शाती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, स्थानीय नेतृत्व राजनीतिक सहयोग और विज्ञान के समन्वय से किसी भी विकट समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

