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आयोग की साख पर लोगों को नहीं रहा भरोसा : शत्रुघ्न

श्री सिन्हा ने कहा कि टीएन शेषन के दौर में चुनाव आयोग अपनी पराकाष्ठा पर था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उसकी गिरावट लगातार जारी है.

आसनसोल. फिल्मों से राजनीति में आये और आसनसोल के सांसद सह तृणमूल कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने चुनाव आयोग और केंद्र पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वोट चोरी के आरोपों को नकारना और राहुल गांधी को हलफनामा दाखिल करने एवं देश से माफी मांगने की नसीहत देना दुर्भाग्यपूर्ण है. हाल के दिनों में चुनाव आयोग की छवि धूमिल हुई है. कभी चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा व विश्वसनीयता इतनी ऊंचाई पर थी कि लोग उसकी बातों को सिर माथे पर रखते थे, लेकिन आज हालत यह है कि आयोग की साख पर देश की जनता का भरोसा छीजता चला गया है. अगर किसी संवैधानिक संस्था की सबसे अधिक छवि धूमिल हुई है तो वह चुनाव आयोग है. श्री सिन्हा ने यह विशेष साक्षात्कार में ये बातें कहीं. श्री सिन्हा ने कहा कि टीएन शेषन के दौर में चुनाव आयोग अपनी पराकाष्ठा पर था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उसकी गिरावट लगातार जारी है. उन्होंने अपने अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि पटना से चुनाव लड़ते समय वहां भारी गड़बड़ी हुई थी, मतदाता से ज्यादा वोट पड़े थे. जिसके खिलाफ अदालत का दरवाजा भी खटखटाया, लेकिन मामला दबा दिया गया. उस समय ऐसा लगा मानो चुनाव परिणाम पहले से ही निर्धारित कर चुका है. चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर कटाक्ष करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि “खोदा पहाड़, निकली चुहिया” जैसी स्थिति हो गयी. आयोग से ठोस और तार्किक जवाब की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन न तो वोटर लिस्ट में अचानक बढ़ोतरी पर कोई जवाब मिला और न ही आंकड़ों की विसंगतियों पर स्पष्टता आयी. आयोग किसी को भी आश्वस्त नहीं कर पाया. अगर किसी को हलफनामा देना चाहिए तो वह चुनाव आयोग है. उसे साफ कहना चाहिए कि जो कहा है वह सच है और अगर आरोप साबित हो जाता है तो वह सजा भुगतने को तैयार है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जिस तरह वोट चोरी का मुद्दा उठाया, उससे देश के युवाओं और नई पीढ़ी की आंखें खुल गयी है. चुनाव आयोग उनके सवालों का कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया और यही वजह है कि उसकी कार्यप्रणाली पर विश्वास लगातार कम हो रहा है. नये उपराष्ट्रपति के नाम की घोषणा पर भी सिन्हा ने कटाक्ष करते हुए सवाल उठाया कि संसद में अबतक डिप्टी स्पीकर का चुनाव तक नहीं हुआ, तो उपराष्ट्रपति के नाम की इतनी जल्दबाजी क्यों? साल में दो करोड़ नौकरियों का वादा कहां गया? 100 स्मार्ट सिटी बनाने की योजना का क्या हुआ? किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा कहां खो गया? पीएम केयर्स फंड व इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले का हिसाब क्यों नहीं दिया गया? इन सब सवालों का जवाब जनता मांग रही है.

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