सोमा चौनी बनीं पहली महिला, जिनके प्रयास को मिल रही है सराहना बांकुड़ा. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बांकुड़ा की बेटी सोमा चौनी ने इतिहास रच दिया. माना जा रहा है कि पहली बार किसी महिला ने श्रीमद्भगवद्गीता का बंगाली में सरल भाषा में अनुवाद किया है. इस अनुवाद को पाठकों से शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है.
सभी आयु वर्ग के लिए गीता को किया सहज
संस्कृत में रचित गीता आम पाठकों के लिए कठिन मानी जाती है, जिसके कारण बहुत से लोग उसका सार नहीं समझ पाते. लेकिन नूतनगंज इलाके के स्टेशन मोड़ निवासी सोमा चौनी ने इसे इतना सरल बना दिया है कि छोटे स्कूली बच्चे, बुजुर्ग, पुरुष और महिलाएं सभी इसे आसानी से समझ सकते हैं. जन्माष्टमी के दिन ही सोमा ने अपने अनुवाद का लोकार्पण किया. संस्कृत में पढ़ाई करने वाली सोमा वर्तमान में एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं.
कठिन दौर से मिली प्रेरणा
सोमा ने बताया कि उन्हें इस अनुवाद की प्रेरणा अपने निजी जीवन के कठिन दौर से मिली, जब वे गीता के श्लोकों में उत्तर खोज रही थीं. उन्होंने कहा, “मैंने गीता का अनुवाद इस तरह किया है कि सातवीं कक्षा का छात्र भी उसे समझ सके और वयस्क भी उसकी गहराई को महसूस कर सके. मेरा उद्देश्य है कि हर कोई गीता का सार पढ़ सके और उसे अपने जीवन में उतार सके. ” सोमा की इस पहल ने न केवल बांकुड़ा में, बल्कि पूरे बंगाल में एक नया क्षितिज खोला है, जहाँ गीता का ज्ञान अधिक सुलभ और मानवीय रूप में लोगों तक पहुंच रहा है.
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