आसनसोल.
पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि पूरे बंगाल में एसआइआर की प्रक्रिया के दौरान राज्य में 58 लाख से अधिक वोटरों के नाम कटे हैं. इससे यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से तृणमूल फर्जी मतदाताओं के जरिये चुनाव में जीत हासिल किया करती थी. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और तृणमूल के बीच जो वोटों का अंतर था, उससे अधिक फर्जी मतदाताओं का नाम एसआइआर में हट गया है. इससे साफ जाहिर होता है कि तृणमूल ने हमेशा से ही फर्जी मतदाताओं के भरोसे ही चुनाव में जीत हासिल की है. मेसी कांड पर कहा कि मुख्यमंत्री ने जो जांच कमेटी का गठन किया गया है, उससे कुछ नहीं होने वाला है. क्योंकि जो लोग जांच करेंगे, वह तृणमूल के दबाव में है. मंगलवार को भाजपा आसनसोल सांगठनिक जिला कार्यालय में आयोजित पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री अधिकारी ने ऊक्त बाते कहीं. मौके पर जिलाध्यक्ष देबतनु भट्टाचार्य, कुल्टी के विधाकय डॉ अजय पोद्दार उपस्थित थे.गौरतलब है कि मंगलवार को जामुड़िया इलाके में भाजपा के परिवर्तन संकल्प सभा में मुख्य वक्ता के रूप में श्री अधिकारी उपस्थित हुए थे. इसी दौरान वे जिला कार्यालय में आकर नेताओं के साथ बैठक भी की. बैठक के बाद अयोजिति पत्रकार सम्मलेन को संबोधित करते हुए श्री अधिकारी ने कहा कि उन्हें चुनावी राजनीति में 36 साल का अनुभव है, उस अनुभव के आधार पर कह सकते हैं कि सिर्फ 58 लाख नहीं, इससे ज्यादा मतदाताओं के नाम काटेंगे. जो कि गैर कानूनी हैं. मेसी प्रकरण पर कहा कि मौजूदा हालात में किसी भी तरह की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच संभव नहीं है. मंत्री अरूप विश्वास और सुजीत बोस को तुरंत मंत्रिमंडल से पूरी तरह बर्खास्त किया जाए, केवल विभागों से हटाना पर्याप्त नहीं होगा. स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करना अनिवार्य है. उन्होंने विशेष जांच दल (एसआइटी) के गठन पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति असीम राय की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर एसआइटी गठन किया गया है, लेकिन इस समिति पर पश्चिम बंगाल की जनता और नेता प्रतिपक्ष के रूप में उन्हें कोई भरोसा नहीं है. इस पूरे मामले के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्य पुलिस और खेल विभाग जिम्मेदार है.उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री का सततरु सान्याल के साथ व्यक्तिगत संबंध रहा है, जिसके समर्थन में अनेकों तस्वीरें और वीडियो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. जिस समिति की सिफारिश पर एसआइटी बना है, उसकी विश्वसनीयता पर संदेह है. उन्होंने अदालत से मांग किया कि राज्य प्रशासन और पुलिस को दरकिनार कर किसी कार्यरत न्यायाधीश की निगरानी में निष्पक्ष जांच करायी जाये.
सैकड़ों करोड़ रुपयों का हुआ है भ्रष्टाचार, जिसकी हो जांच
श्री अधिकारी ने कहा कि मामले में अव्यवस्था, अनुशासनहीनता की घटना की जांच तो अपराध के रूप में होगी ही, लेकिन इसके साथ-साथ सैकड़ों करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की भी जांच होनी चाहिए. इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग, वित्तीय अनियमितताएं और धोखाधड़ी शामिल है. इसके अलावा टिकटों की कालाबाजरी, चोरी तथा भोजन और पानी की भी जमकर कालाबाजारी हुई. यह केवल एक दुर्घटना या कुप्रबंधन का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे गंभीर आर्थिक भ्रष्टाचार छिपा हुआ है. एफआइआर को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाया, कहा यह त्रुटिपूर्ण और भ्रामक है. राज्य सरकार इस मुद्दे से लोगों ध्यान भटकाने और अलग दिशा में ले जाने का प्रयास कर रही है.
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