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दिखावा है ‘आमादेर पाड़ा, आमादेर समाधान’ पेयजल संकट से 10 हजार लोग हो रहे परेशान

समस्या. दो माह से नहीं मिल रहा पेयजल, धरना देने का भी लाभ नहीं, कांग्रेस नेता विद्युत घोषाल तृणमूल पर बरसे

समस्या. दो माह से नहीं मिल रहा पेयजल, धरना देने का भी लाभ नहीं, कांग्रेस नेता विद्युत घोषाल तृणमूल पर बरसे पेय जल की समस्या है चरम पर प्रतिदिन पेयजल जुगाड़ कर लाना ही घरवालों का हो गया है पहला कार्य नितुरिया.नितुरिया ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष विद्युत घोषाल ने कहा कि तृणमूल सरकार का आमादेर पाड़ा-आमादेर समाधान कार्यक्रम सिर्फ एक दिखावा है. तृणमूल के नेता कार्यकर्ता जनता से दूर हो गये हैं, आगामी विधानसभा चुनाव से से पहले सरकारी फंड का उपयोग करके लोगों से जोड़ने के लिए यह कार्यक्रम बनाया गया है. नितुरिया प्रखंड के भामुरिया ग्राम पंचायत के करीब 10 हजार लोग पिछले करीब दो माह से पेयजल की संकट झेल रहे हैं. जिसे लेकर प्रशासन के छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक ज्ञापन दिया गया है, पीएचइडी कार्यालय के सामने धरना दिया गया, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ. लोग सभी काम छोड़कर सबसे पहले पेयजल जुगाड़ करने को निकल जाते हैं. इस समस्या का समाधान किस पाड़ा में होगा? इलाके में हो रही भारी बारिश से तालाब, जलाशय, नदियां, बांध उफान पर है, खेत खलियान, सड़क, स्कूल, अस्पताल पानी से प्रभावित हैं, वहीं, भामुरिया ग्राम पंचायत इलाके में लोगों के पीने के लिए पानी नहीं है. इससे बड़ी समस्या एक आम आदमी के लिए क्या होगी? सड़क की हालत भी दयनीय है. इसका समाधान किस पाड़ा में होगा? गौरतलब है कि नितुरिया थाना अंतर्गत भामुरिया, हीराखुन, बोड़ा, बरुईपाड़ा समेत कई गांवों में पिछले दो महीनों से पीने के पानी की आपूर्ति पूरी तरह ठप है. ग्रामवासियों ने अनेकों बार ग्राम पंचायत, ब्लॉक में शिकायत की, लेकिन समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया. यहां पेयजल की आपूर्ति भामुरिया वाटर प्रोजेक्ट से होती है. दामोदर नदी का पानी के तेज बहाव में इस प्रोजेक्ट का पाइप लाइन ही उखड़ गया, जिससे यहां पेयजल की आपूर्ति ठप है. स्थानीय हरिकृष्ण मंडल ने बताया कि गांवों में पेयजल की आपूर्ति बंद होने से लोग पुराने कुओं और चापानलों का उपयोग कर रहे है, जिसमें से पूर्ण रूप से स्वच्छ व शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है. मजबूरी में लोग इसी पानी का उपयोग कर रहे हैं. अनेकों लोग दूसरे इलाके से जाकर पीएचइडी का पानी ला रहे हैं. इसके चलते पेट के रोग, डायरिया और अन्य संक्रमण तेजी से फैलने की प्रबल संभावना बनी हुई है. सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे हो रहे हैं. कुछ सप्ताह पहले ग्रामीणों ने नितुरिया बीडीओ ऑफिस के सामने पानी की मांग को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था. प्रशासन की ओर से आश्वासन दिया गया था कि सात दिनों के अंदर पानी की आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी, लेकिन एक महीना बीतने के बाद भी स्थिति जस की तस है. भामुरिया ग्राम पंचायत अंतर्गत गांवों की महिलाओं ने रघुनाथपुर पीएचइडी कार्यालय के सामने धरना पर बैठीं, प्रशासन ने जल्द समाधान का वादा किया, लेकिन आज तक एक बूंद पानी नहीं मिला. नितुरिया थाना क्षेत्र के बोड़ा गांव की महिलाएं पानी की मांग पर रघुनाथपुर सब-डिविजनल पीएचइडी दफ्तर भी पहुंचीं और पानी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन उसका भी कोई लाभ नहीं हुआ. लगातार प्रदर्शन, धरणा के बावजूद आज भी नितुरिया के 10-12 गांवों में पीने के पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है.

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