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मैनपावर घटायेगी कोल इंडिया !

उत्पादन लागत बढ़ने के कारण कर्मियों को वेतन देने में हो रही असुिवधा स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना लागू करने की तैयारी शुरू सांकतोड़िया. कोल इंडिया ने मैनपॉवर घटाने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है. मशीनीकरण एवं सत्तर फीसदी आउटसोर्सिंग से मानव शक्ति अधिक महसूस होने लगा है. उत्पादन लागत […]

उत्पादन लागत बढ़ने के कारण कर्मियों को वेतन देने में हो रही असुिवधा
स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना लागू करने की तैयारी शुरू
सांकतोड़िया. कोल इंडिया ने मैनपॉवर घटाने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है. मशीनीकरण एवं सत्तर फीसदी आउटसोर्सिंग से मानव शक्ति अधिक महसूस होने लगा है.
उत्पादन लागत कम करने के लिये कंपनी मुख्यालय में बैठे अफसरों ने इसके संकेत दिये हैं. योजना कब शुरू होगी इसका खुलासा अभी नहीं किया गया है. इसीएल समेत कोल इंडिया की अन्य अनुषांगिक कंपनी में लगभग तीन लाख बीस हजार कोयला कर्मी है. कोल इंडिया वर्तमान में लाभ की स्थिति में है जबकि उसकी अनुषांगिक कंपनियां घाटे में चल रही है. इसकी मुख्य वजह है िक कई खदानों में कम उत्पादन होने पर लागत बढ़ गयी है. स्थिति यह है िक खदान अपने कर्मियों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है. इससे उबरने के लिए कंपनी ने वीआरएस पर विचार आरंभ कर दिया.
कोयला क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है िक वर्ष 1973 में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के दौरान भूमिगत खदान की संख्या अधिक थी. इन खदानों में कर्मचारियों के माध्यम से कोयला उत्पादन िकया जाता था. इसलिये उस वक्त कर्मचारियों की संख्या दस लाख से ऊपर थी.
बाद में कंपनी ने खुली खदान पर जोर दिया ताकि कम लागत में अधिक उत्पादन िकया जा सके. वर्तमान स्थिति यह है िक ओपन कास्ट खदान से 90 फीसदी कोयला उत्पादन हो रहा है. वर्ष 1997-98 में कोल इंडिया में 6.50 लाख से अधिक मैनपावर था. वर्तमान में यह घटकर तीन लाख बीस हजार हो गया है. इसके बाद भी कंपनी मैनपावर कम करने में जुटी हुयी है. कोयला क्षेत्र में अंधाधुंध मशीनीकरण एवं सत्तर फीसदी से अधिक आउटसोर्सिंग के कारण अधिकारी व कर्मचारियों की संख्या अब जरूरत से ज्यादा महसूस होने लगी है. इसे कम करने के लिए सीआइएल अब वीआरएस लागू करने में जुट गयी है.
जानकारों का कहना है िक कोल इंडिया के पूर्व डीपी आर मोहन दास ने पिछले माह ही सभी कंपनियों के निदेशक कार्मिकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा कर संकेत दिया है िक मैनपावर कम करने के लिये वीआरएस लाया जा सकता है. हालांकि श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया है. बीएमएस के जयनाथ चौबे ने कहा िक अंडरग्राउंड प्रोडक्शन पर कोल इंडिया प्रबंधन को जोर देना चाहिये. इससे मैनपॉवर की छंटनी नहीं करनी पड़ेगी. साथ ही कंपनी की भूमिगत खदानों का उत्पादन भी बढ़ जायेगा.
उन्होंने कहा िक सबसे महत्वपूर्ण बात यह है िक भूमिगत खदान से पर्यावरण को क्षति नहीं पहुंचेगी. आउटसोर्सिंग को बढ़ावा देने को नियमित कामगारों को वीआरएस के माध्यम से हटाना गलत है. इसका विरोध किया जाना चाहिये. एटक के जानकी साव ने कहा िक वीआरएस अधिकारियों व कंपनी के िहत में नहीं है. सक्षम अधिकारी कंपनी से वीआरएस लेकर निजी कंपनी में चले जायेंगे. इससे कंपनी के कामकाज पर असर पड़ेगा.

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