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रेलवे में सौ फीसदी एफडीआइ से निजीकरण
प्रतिवाद. रेल कर्मियों के अधिकार, सुविधाओं को केंद्र कर इआरएमयू ने दिया डीआरएम कार्यालय पर धरना इस्टर्न रेलवे सहित भारतीय रेल के कर्मियों की विभिन्न मांगों के समर्थन में इआरएमयू ने बुधवार को डीआरएम कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया तथा धरना दिया. सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सहित नयी पेंशन नीति की कड़ी आलोचना की […]
प्रतिवाद. रेल कर्मियों के अधिकार, सुविधाओं को केंद्र कर इआरएमयू ने दिया डीआरएम कार्यालय पर धरना
इस्टर्न रेलवे सहित भारतीय रेल के कर्मियों की विभिन्न मांगों के समर्थन में इआरएमयू ने बुधवार को डीआरएम कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया तथा धरना दिया. सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सहित नयी पेंशन नीति की कड़ी आलोचना की गयी.
आसनसोल : ईस्टर्न रेलवे मेंस यूनियन के केंद्रीय उपाध्यक्ष सुधीर राय ने कहा कि केन्द्र की भाजपा नीत राजग सरकार पूरी तरह से मजदूर विरोधी है. देश् की 93 फीसदी जनता के हितों से इसे कुछ लेना देना नहीं है. मात्र सात फीसदी व्यवसायिक घरानों के हित में यह सरकार कार्य कर रही है. वे बुधवार को आसनसोल मंडल रेल कार्यालय के समक्ष यूनियन की ओर से आयोजित एकदिवसीय धरना को सबोधित कर रहे थे. श्री राय ने कहा कि इस सरकार ने भारतीय रेलवे के निजीकरण की प्रक्रिया काफी तेज कर दी है. उन्होंने कहा कि सौ फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को मंजूरी देकर विदेशी पूंजी के लिए इसे पूरी तरह से खोल दिया गया है.
भारतीय रेल देश की लाइफ लाइन है. इसे विदेशी पूंजी के हवाले करने से रेल की स्थिति तो खराब होगी ही, देश की संप्रभुता भी प्रभावित होगी. विदेशी कंपनियां देश का विकास चाहने के बजाय अपने लाभ को प्राथमिकता देगी. उन्होंने कहा कि रेल के कई महत्वपूर्ण विभागों में आउटसोर्सिग शुरू कर दी गयी है. रेलवे में लाखों की संख्या में पद खाली पड़े है. सरकार इन पदों पर नियुक्ति करने की दिशा में कोई पहल नहीं कर रही है. इस कारण रेल कर्मियों पर कार्य का अतिरिक्त बोझ बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी के कारण सुरक्षा मोर्चे पर पूरी तरह से सफलता नहीं मिल रही है. रेल दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. लेकिन तकनीक के क्षेत्र में निवेश को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि रेलकर्मियों को बुनियादी सुविधा तक नहीं मिल रही है. विषम परिस्थितियों में उन्हें कार्य करना पड़ रहा है. उद्धाटन भाषण यूनियन की केन्द्रीय कमेटी के संयुक्त सचिव एमएस मंडल ने दिया. उन्होंने कहा कि रेल श्रमिकों को अपने अधिकारों की लड़ाई खुद ही लड़नी होगी. केंद्र सरकार की नीतियां पूरी तरह से श्रमिक विरोधी हैं तथा रेलकर्मियों के अधिकारों तथा सुविधाओं में लगातार कटौती हो रही है. उन्होंने कहा कि विभिन्न यूनियनों के साथ मिल कर राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन विकसित किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि छह सूत्री सामान्य मांगों में रेलवे में सौ फीसदी एफडीआइ के निर्णय को वापस लेने, रेलवे के खाली पडे पदों पर शीघ्र बहाली करने, रेल कर्मियों को कालबद्ध पदोन्नति देने, सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने की मांगें शामिल थी. स्थानीय 19 सूत्री मांगों में स्थानीय मंडल रेल कर्मियों की समास्याओं का समाधान करने, अफसरशाही को समाप्त करने, अधिकारियों के स्तर से रेल कर्मियों की प्रताड़ना बंद करने, जजर्र रेल क्र्वाटरों की मरम्मत, रेल कॉलोनी की सडक की मरम्मत, अस्पतालों में चिकित्सक, पारा मेडिकल कर्मियों के रिक्त पदों पर नियुक्ति करने, अस्पतालों में दवा पर्याप्त मात्र में उपलब्ध कराने, रनिंग स्टाफ से दस घंटा से अधिक काम न लेने, मंडल रेल के पोटर, गेट मैन की डयूटी आठ घंटा से अधिक नहीं लेने आदि की मांगे शामिल थी. धरना के दोरान यूनियन के शिष्टमंडल ने मंडल रेल प्रबंधक एनके सचान को मा ंगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा.
मौके पर यूनियन की केन्द्रीय कमेटी के कोषाध्यक्ष एमकेबी सिंह, आसनसोल एक नंबर शाखा के सचिव बी मल्लिक, शाखा नंबर दो के सचिव पीएन राम, दुर्गापुर शाखा सचिव संतोष कुमार, पानागढ शाखासचिव कृष्णा सेनगुप्ता, मधुपुर शाखा सचिव अनिल राय, अंडाल शाखा के संयुक्त सचिव टीके राय सहित 637 नेता व सदस्य उपस्थित थे.
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