Advertisement
हिंदी राजभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं
पानागढ़ : कोलकाता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर अमरनाथ शर्मा ने कहा कि हिंदी के राष्ट्रवाद में बाधक बनी रही सामंती भाषा अंग्रेजी अब देश में आतंक की भाषा बन गयी है. देश के एक प्रतिशत ही लोग है, जो अंग्रेजी भाषा के पुरोधा हैं. अंग्रेजी बहुरानी बनी है, वहीं हिंदी व अन्य भाषाएं […]
पानागढ़ : कोलकाता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर अमरनाथ शर्मा ने कहा कि हिंदी के राष्ट्रवाद में बाधक बनी रही सामंती भाषा अंग्रेजी अब देश में आतंक की भाषा बन गयी है. देश के एक प्रतिशत ही लोग है, जो अंग्रेजी भाषा के पुरोधा हैं. अंग्रेजी बहुरानी बनी है, वहीं हिंदी व अन्य भाषाएं नौकरानी बनी हुयी है. यह बिडंबना ही है. वे शुक्रवार को पानागढ़ बाजार हिंदी हाइ स्कूल सभागार में स्थानीय संस्था ‘अतएवं एक सांस्कृतिक पहल’ द्वारा आयोजित ‘भाषाई राष्ट्रवाद और हिंदी’ विषय पर आयोजित विचारगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे.
श्री शर्मा ने कहा कि देश में हिंदी राजभाषा है. राष्ट्रभाषा नहीं है. महात्मा गांधीजी ने भी देश की आजादी की लड़ायी के साथ हिंदी भाषा का प्रचार किया. उस दौर से ही राष्ट्रीय चेतना दिखायी पड़ती थी. यदि देश की एकता को कोई एक सूत्र में पिरो सकता है तो वह हिंदी भाषा ही है.
हिंदी भाषियों की अपेक्षा गैर हिंदी भाषियों ने ही हिंदी का मान बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि हिंदी की उपेक्षा देश में ही हो रही है. केवल राजनीतिक, दंडता के कारण हिंदी की यह गति है. हिंदी की जो बोलियां है, अंग्रेजी के खिलाफ लड़ायी लड़ने के लिये उन्हें एकजुट होना होगा. भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उभरी है. जिन नौ आधारों का उल्लेख किया है, उनमें से सभी आधार तथ्यात्मक दृष्टि से अपुष्ठ, अतार्किक और भ्रामक है. हिंदी बचाओ मंच ने व्यापक छानबीन कर अपना पक्ष प्रस्तुत किया है.
श्री शर्मा ने कहा कि अंग्रेजी के बाद हिंदी भाषा ही दुनियां में दूसरे स्तर पर सबसे ज्यादा बोलने वाली भाषा है. हिंदी को बचाने के लिये एकजुट होना होगा. हिंदी यदि बचेगी तो दूसरी भाषा साहित्य बचा रहेगा. हिंदी लचीली भाषा है. सहज है. बंग्ला और हिंदी बहनें है. संगीत के आधार पर केवल हिंदी की अपेक्षा गलत है. दुनियां के अन्य देशों की तरह विभिन्न प्रांतीय भाषा संस्कृति तथा क्षेत्र के बावजूद एक दूसरे से जुड़ने के लिये एक राष्ट्रीय भाषा जरुरी होती है.
मंच पर शिक्षक मनोज यादव, प्रो. अरुणा पांडे, पानागढ़ विद्यालय के प्रधान शिक्षक सुरेश प्रसाद, रामाश्रय झा, ध्रुव कुमार आदि उपस्थित थे. संस्था से जुड़े गौतम राणा, वृजेश पांडे, सत्यप्रकाश केशरी, उमेश मिश्र आदि सक्रिय थे. संचालन कवि निशांत ने किया. वक्तव्य के बाद स्टूडेंट्सों ने मुख्ता वक्ता से कई प्रश्न पूछे.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement