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नोटा के लिए स्पेशल सिम्बल

व्यवस्था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में चुनाव आयोग ने की पहल मतदाताओं की भावनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मतदान में नोटा का प्रावधान चुनाव में किया था. इसके माध्यम से मतदाता को चुनाव में शामिल सभी प्रत्याशियों को खारिज करने का अधिकार मिल जाता है. इसे महत्व देने के लिए आयोग […]

व्यवस्था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में चुनाव आयोग ने की पहल
मतदाताओं की भावनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मतदान में नोटा का प्रावधान चुनाव में किया था. इसके माध्यम से मतदाता को चुनाव में शामिल सभी प्रत्याशियों को खारिज करने का अधिकार मिल जाता है. इसे महत्व देने के लिए आयोग ने इस बार इसके लिए भी सिम्बल विकसित किया गया है.
आसनसोल : चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में इस बार नोटा के लिए नये सिम्बल को विकसित किया है. जमीनी स्तर के चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे इस सिम्बल व नोटा की जानकारी अधिक से अधिक मतदाताओ ं तक पहुंचाये.
वैसे भी इस चुनाव में नोटा के पक्ष में रिकॉर्ड संख्या में मत मिलने की संभावना दिख रही है. वाममोर्चा और कांग्रेस के बीच सीटों के तालमेल से यह स्थिति उत्पन्न हुयी है.
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि विभिन्न चुनाव में कई मतदाताओं के समक्ष यह स्थिति बन जाती थी कि चुनाव में खड़ा को ई भी प्रत्याशी उसकी पसंद का नहीं होता था. उस स्थिति में उसे या तो किसी न किसी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करना पड़ता था या फिर वह मतदान केंद्र तक जाता ही नहीं था. मतदान में आ रही गिरावट के मुख्य कारणों में इसे शामिल किया गया था.
बाद में प्रत्याशियों के बीच किसी भी प्रति मतदान की स्थिति न होने पर ‘नन ऑफ द एवभ (नोटा)’का प्रावधान करने के लिए वर्ष 2004 मे ं सुप्रीम कोर्ट में लोक हित याचिका दायर की गयी थी. बीते 27 सितंबर, 2013 को दिये अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी मतपत्रों व इलेक्ट्रानिक्स वोटिंग मशीन (इवीएम) मे ं नोटा का प्रावधान करना होगा. जिन मतदाताओं को कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं होगा, वह नोटा के पक्ष में मतदान करेगा. इसके बाद से हर चुनाव में नोटा के प्रति समर्थन बढ़ने लगा है.
उन्होंने कहा कि इस निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने भी इसे गंभीरता से लिया है. चुनाव अधिकारियों को कहा गया है कि मतदान पत्र होने की स्थिति में सूची में सबसे नीचे स्थित प्रत्याशी के नाम के नीचे नोटा का उल्लेख किया जायेगा.
इवीएम होने की स्थिति में अंतिम प्रत्याशी के नाम के नीचे नोटा का प्रावधान होगा. प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह के नीचे नोटा का सिम्बल लगा होगा. इस वर्ष चुनाव आयोग ने नोटा के लिए अलग से सिम्बल विकसित किया है. इस सिम्बल का निर्माण नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ डिजाइन किया है. जिन मतदाताओं को कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं होगा वे इसके सामने की बटन दबायेंगे.
चुनाव आयोग ने नोटा का प्रासंगिकता तथा सिके सिम्बल के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है. इसके लिए जमीनी चुनाव कर्मियों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाना है.
सूत्रों के अनुसार इस वर्ष नोटा के पक्ष में अधिक मतदान होने की संभावना है. पश्चिम बंगाल में ऐसे मतदाताओं की संख्या दो से तीन फीसदी है जो हमेशा एक ही पार्टी के पक्ष में मतदान करते रहे हैं. इनमें में कांग्रेस व वामपंथी समर्थक शामिल है. इन्होंने विषम से विषम परिस्थितियों में भी अपना निर्णय नहीं बदला है.
आसनसोल नॉर्थ विधानसभा व कुल्टी विधानसभा क्षेत्र में कोई वामपंथी प्रत्याशी नहीं है तो आसनसोल साउथ, रानीगंज, जामुड़िया, बाराबनी में कांग्रेस प्रत्याशी नहीं हैं. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस व भाजपा के बीच मतों का ध्रुवीकरण आसानी से हो जाता ह,ै लेकिन वामपंथियों का दक्षिणपंथियों में आदान-प्रदान अपेक्षाकृत कम होता है. इस स्थिति में मतदान केंद्र तक पहुंचनेवाले कुछ मतदाता नोटा का ही उपयोग कर सकते हैं.

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