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पार्क बंद होने से लौटे सैकड़ों सैलानी मायूस
निराशा. यीशू हत्याकांड के 30 घंटों बाद भी हत्यारों का नहीं मिला कोई सुराग आतंक फैलने से पुलिस की भूमिका पर उठने लगे कई सवाल बंद करने का निर्णय कोई भी अपने उपर लेने के लिए तैयार नहीं बर्नपुर : नव वर्ष के आगमन पर नेहरु पार्क में ठेकेदार सह पार्क के संचालक सुकुमार विश्वास […]
निराशा. यीशू हत्याकांड के 30 घंटों बाद भी हत्यारों का नहीं मिला कोई सुराग
आतंक फैलने से पुलिस की भूमिका पर उठने लगे कई सवाल
बंद करने का निर्णय कोई भी अपने उपर लेने के लिए तैयार नहीं
बर्नपुर : नव वर्ष के आगमन पर नेहरु पार्क में ठेकेदार सह पार्क के संचालक सुकुमार विश्वास उर्फ यीशू का दिन दहाड़े हत्या के 30 घंटे गुजरने के बाद भी पुलिस किसी भी अपराधी को दबोचने में विफल रहा.
इधर दो जनवरी को इस हत्याकांड को लेकर नेहरु पार्क बंद रहा. बगैर किसी पूर्व सूचना के पार्क बंद रहने से यहां घूमने व पिकनिक करने आये हजारों सैलानियों को निराश लौटना पड़ा. हालांकि अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (वेस्ट) विश्वजीत महतो ने कहा कि पुलिस ने इस चुनौती को स्वीकार किया है तथा शीघ्र ही इस मामले का उद्भेदन किया जायेगा.
सनद रहे कि शुक्रवार को अपराह्न् तीन बजे पार्क में हजारों सैलानियों की मौजूदगी के बीच दो अपराधियों ने पार्क में अकेले घूम रहे पार्क संचालक तथा वाममोर्चा सरकार के शासनकाल में अजेय बाहुबली रहे सुकुमार विश्वास उर्फ यीशू को गोलियों से भून दिया था.
इसके बाद मची भगदड़ का लाभ उठा कर वे आसानी से भाग गये थे. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोनों पार्क की दीवार फांद कर भागे थे. इसके बाद पुलिस ने पूरे पार्क को खाली करा दिया था. नव वर्ष की खुशियां मना रहे सैलानियों को बुङो मन से बाहर जाना पड़ा था. कोयलांचल में इस नेहरू पार्क का काफी सुनाम है तथा नव वर्ष पर दस हजार से अधिक सैलानी इस पार्क में आते हैं.
शनिवार को नव वर्ष का दूसरा दिन होने के कारण विभिन्न इलाकों व कई शहरों से बड़ी संख्या में सैलानी पिकनिक व खुशियां मनाने आये. लेकिन पार्क बंद होने की सूचना देकर सभी को लौटा दिया गया. उन्हें कहा गया कि रविवार से पार्क खोला जायेगा. सनद रहे कि इस पार्क का मालिकाना इस्को स्टील प्लांट का है तथा इसके संचालन का दायित्व नीरू मेटल ट्रेडिंग प्रा. लि. को मिला है.
यीशू इस कंपनी के सव्रेसर्वा थे. पार्क के प्रबंधक तापस चटर्जी ने बताया कि दिनदहाड़े हुयी हत्या की जांच क ेलिए पुलिस ने आइएसपी प्रबंधन को पार्क एक दिन के लिये बंद करने को कहा. प्रबंधन के निर्देश पर उनकी कंपनी ने पार्क बंद रखा. आइएसपी के टाउन विभाग के उप महाप्रबंधक (टीटीसीसी) अनुपम राय ने कहा कि प्रबंधन ने पार्क बंद करने का कोई निर्देश नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि प्रबंधन ने दो लाख रूपये प्रति महीना के दर से इस पार्क के संचालन का दायित्व उक्त निजी कंपनी को पांच साल के लिए दिया गया है. इसके बाद पार्क को बंद रखने या खुले रखने का निर्णय उनका है.
किसी भी पुलिस अधिकारी ने इस आशय का आग्रह नहीं किया था. इधर अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त विश्वजीत महतो ने कहा कि जांच के नाम पर पूरे पार्क को बंद करने का कोई औचित्य ही नहीं है. जरूरत पड़ने पर घटनास्थल के आसपास के इलाके की घेराबंदी की जा सकती थी. बंद करने का निर्णय पार्क संचालन करनेवाली कंपनी का होगा.
पार्क को बंद करने के निर्णय से शहर व आसपास के इलाके में काफी आतंक का माहौल बना है. इसकी सूचना फैलने के बाद यहां आनेवाले सैलानियों की संख्या में काफी कमी हो सकती है. साथ ही पुलिस के प्रति भी गलत संदेश जा सकता है. घटना के बाद भी पार्क के कर्मचारियों, गार्डो व स्थानीय पुलिस कर्मियों ने अपरा-तफरी में पार्क को खाली कराना शुरू कर दिया था. इससे भगदड़ मच गयी थी. वास्तविकता से अवगत हुए बिना भगदड़ के कारण महिलाओं व बच्चों को काफी परेशआनियों का सामना करना पड़ा था.
अधिसंख्य पिकनिक पार्टियों के सदस्यों ने खाना भी नहीं खाया था. इस भगदड़ का लाभ उठा कर हत्यारे भी भाग निकले थे.
जानकारों के अनुसार पुलिस कर्मियों को भगदड़ की स्थिति उत्पन्न करने के बजाय सैलानियों को शांत रखना चाहिए था तथा बारी-बारी से उन्हें निकालना चाहिए था. इससे न तो आतंक फैलता और न अपराधियों को भागने का आसान मौका मिलता.
जिस पुलिसिया जांच के नाम पर पार्क को पूरे दिन बंद रख कर सैलानियों को वापस किया गया, उसमें भी भारी उपेक्षा नजर आयी. वोटिंग काउंटर के पास उनकी हत्या की गयी थी. वहां उनके शरीर का रक्त गिरा था. उक्त स्थल की आमतौर पर घेराबंदी की जानी चाहिए थी. लेकिन शनिवार को निरीक्षण के दौरान देखा गया कि वहां कोई घेराबंदी नहीं की गयी है.
जमीन पर गिरे रक्त के उपर एक पटरी रख कर उस पर दो प्लास्टिक के खाली बोरे रख दिये गये हैं. वहां से गुजरनेवाला हर शख्स बोरा हटाकर रक्त को देख रहा है. मिट्टी के साथ छेड़छाड़ कर रहा है. जांच के नाम पर खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस स्थिति में घटनास्थल से सिर्फ रक्त के नमूने ही लिये जा सकते हैं.
बेटे ने दर्ज करायी शिकायत
यीशू के बड़े बेटे शुभंकर विश्वास ने अपने पिता के हत्या के मामले में हीरापुर थाने में शिकायत दर्ज करायी. शिकायत में पूरी घटना का विवरण दिया गया है. लेकिन किसी को नामजद आरोपी नहीं बनाया गया है.
शोक संतप्त परिवार से मिले कई नेता, पुलिस अधिकारी
बर्नपुर. सुकुमार विश्वास के शोक में डूबे परिजनो से मिलने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता पहुंचे. हीरापुर थाना के पूर्व प्रभारी अमिताभ मुखर्जी, पार्षद सोना गुप्ता, माकपा की लोकल कमेटी नेता अशोक मुखर्जी, पार्थो सेन गुप्ता, पूर्व पार्षद कृष्णोन्दू घोष, समाज सेविका मुनमुन सेन शामिल थी. सभी ने इस दु:खद घटना की निंदा की. उनकी पत्नी निरूपमा विश्वास सदमे के कारण गुमसुम हो गयी है. एक कोने में पल्ंग पर चादर ओढे चुप से लेटी थी. उनके बेटे शुभंकर विश्वास, भतीजा नानक की पत्नी, बहन कनक विश्वास, बेटी राखी विश्वास आदि परिजनो में क्षोभ व्याप्त था.
दो बाइकों पर भागे हत्यारे
पार्क के पास स्थित मदनडीह गांव के ग्रामीणों ने बताया कि हत्याकांड के बाद मची भगदड़ में दो बाइक पर सवार होकर चार युवक काफी तेजी से गांव के किनारे से निकले थे. इनमें से एक बाइक पल्सर तथा दूसरी बाइक डिस्कॉवर थी. दोनों बाइकों के पीछे दो युवक सूट पहन कर बैठे थे. सनद रहे कि हत्यारों ने भी कोट व पैंट पहन रखी थी. घटना के बाद वे पार्क की दीवार की ओर भागे थे. पार्क की दीवार की ऊंचाई बमुश्किल चार से पांच फुट है.
दीवार के उस पार उनके दो सहयोगी बाइक लेकर तैयार थे. उनके आते ही सभी बाइक से फरार हो गये. बर्नपुर रिवरसाइड में स्थित इस्को के नेहरु पार्क में 25 दिसंबर से 26 जनवरी तक औसतन प्रतिदिन आठ हजार सैलानी यहां घुमने और पिकनिक मनाने आते है. एक जनवरी शुक्रवार को अपराह्न तीन बजे तक पांच हजार सैलानी पार्क में जाने के लिये टिकट कटा चुके थे. शाम तक यह संख्या दो तीन हजार और बढ़ती. लेकिन पार्क में पार्क के ठेकेदार यीशू की हत्या होने के बाद सब कुछ बंद हो गया. शनिवार दो जनवरी को बिना किसी सूचना के पार्क बंद हो जाने से शैलानियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी.
पुलिस जल्द करेगी मामले का उद्भेदन
आमतौर पर अधिकांश हत्याकांड में जांच का दायित्व कमिश्नरेट के खुफिया विभाग को सौंप दिया जाता है. हाई प्रोफाइल मामले में तो तत्काल खुफिया विभाग मोर्चा संभाल लेती है.
लेकिन यीशू हत्याकांड में जांच का नेतृत्व खुद एडीसीपी (वेस्ट) विश्वजीत महतो ने संभाल लिया है. श्री महतो ने आत्मविश्वास से कहा कि जल्द वे इस मामले का उदभेदन करेंगे. हालांकि वेस्ट जोन में ही पूर्व में हुये दो हाई प्रोफाइल हत्याकांड पूर्व विधायक दिलिप सरकार और इस्को के ठेकेदार अर्पण मुखर्जी मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नही हुयी है.
एडीसीपीने किया घटनास्थल का दौरा
एडीसीपी (वेस्ट) विश्वजीत महतो, एसीपी (वेस्ट) असीत पांडे, हीरापुर के थाना प्रभारी दिव्येंदू दास, डीडी के इंस्पेक्टर अरुप सरकार, एसआई संजीव चट्टराज ने शनिवार की सुबह नेहरु पार्क में घटनास्थल (पीओ) का निरिक्षण किया और जांच के लिये साक्ष्यों को तलाश की.
नाईन एमएम पिस्तौल से हुयी हत्या
नेहरु पार्क में यीशू हत्याकांड के बाद घटनास्थल से पुलिस को चार कारतूस के खोखे मिले है. खोखे के आधार पर पुलिस मान रही है कि नाइम एमएम पिस्तौल से हत्या हुयी है. हालांकि फायरिंग ज्यादा हुयी थी. लेकिन पुलिस को चार खोखे ही मिले है.
पार्क में उंचे टीले से कर रहे थे निरीक्षण
नेहरु पार्क में वोटिंग प्वाइंट के पास जहां यीशू की हत्या हुयी वहां से 15 बीस फीट दूरी पर एक टीला है.
शनिवार जांच के लिये पहुंची पुलिस उस टीले पर भी गयी जहां पेड़ पर एक शॉल लटका हुआ था. वहां रॉयल बिरयानी के चार खाली डिब्बे, पानी का बोतल पड़ा था. संभावना यह भी जतायी जा रही है कि अपराधी वहां बैठकर खाना भी खा रहे थे ताकि उनपर किसी को कोई शक न हो और उंची जगह से यीशू के गतिविधि पर पूरी नजर भी रख रहे थे.
तीन हाई प्रोफाइल हत्या एक ही समान
पूर्व विधायक दिलीप सरकार, इस्को के ठेकेदार अर्पण मुखर्जी, और बाहुबली यीशू विश्वास तीनों ही हत्याकांड में दो -दो शूटरों की बात सामने आयी है. तीनों ही मामले में दिन दहाड़े हत्या हुयी और अपराधी बाइक से फरार हो गये. पूर्व के दो हत्याकांडों से पुलिस अब पर्दा नहीं उठा पायी है और अपराधी खुलेआम घुम रहे है. पुलिस इन तीनों हत्याकांडों को एक ही कड़ी से जोड़कर देख रही है. तीनों ही लोग इस्को के साथ प्रत्यक्ष रुप से जुड़े थे.
सभी पहलुओं को खंगाल रही है पुलिस
यीशू हत्याकांड में पुलिस मृतक के ठेकेदारी और व्यक्तिगत कारणों से हुयी दुश्मनी सभी पहलुओं को खंगाल रही है. पुलिस यीशू से हाल के दिनों में मिलनेवाले या यीशू किन से मिले , सभी की सूची तैयार की है. ठेकेदारी में किसके साथ यीशू की प्रतिस्पर्धा थी. यीशू ने पूर्व में किनसे कोई ठेका छिना या उनसे किसने कोई ठेका छीना. इसकी भी सूची बनायी जा रही है. यीशू के फोन कॉल डिटेल्स भी पुलिस खंगाल रही है कि शायद उसमें कोई सुराग मिल सके.
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