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सालाना पांच हजार अरब का नुकसान

विश्व पर्यावरण दिवस पर विभिन्न संस्थानों में पौधारोपण सांकतोड़िया : विश्व पर्यावरण दिवस पर इसीएल मुख्यालय में इसीएल के प्रभारी सीएमडी चंदन कुमार दे ने कोल इंडिया का झंडोत्तोलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की. पर्यावरण संरक्षण से संबंधित शपथ सभी अधिकारियों ने ली. कोल इंडिया के अध्यक्ष का संदेश पाठ तकनीकी सचिव निलाद्री राय ने […]

विश्व पर्यावरण दिवस पर विभिन्न संस्थानों में पौधारोपण
सांकतोड़िया : विश्व पर्यावरण दिवस पर इसीएल मुख्यालय में इसीएल के प्रभारी सीएमडी चंदन कुमार दे ने कोल इंडिया का झंडोत्तोलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की. पर्यावरण संरक्षण से संबंधित शपथ सभी अधिकारियों ने ली. कोल इंडिया के अध्यक्ष का संदेश पाठ तकनीकी सचिव निलाद्री राय ने पढ़ा.
तकनीकी निदेशक (संचालन) सुब्रत चक्रवर्ती, कार्मिक निदेशक केएस पात्र, तकनीकी निदेशक (योजना व परियोजना) बीआर रेड्डी, महाप्रबंधक (पर्यावरण) जेएन विस्वाल, सभी क्षेत्रों के महाप्रबंधक उपस्थित थे. सीएमडी श्री दे सहित सभी निदेशकों ने वृक्षारोपण किया.
सीएमडी श्री दे ने कहा कि गिरते पर्यावरण से सलाना पांच हजार अरब रुपये का नुकसान भारत को हो रहा है. यह देश की जीडीपी का 5.7 फीसदी है. आजादी के बाद से देश में 53 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र खत्म हो चुका है. नदियां प्रदूषित हो चुकी है. बड़े महानगरों में प्रदूषित हवा के चलते स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि इसीएल ने वर्ष 2014-15 में 50 हजार पेड़ लगाने की योजना बनायी थी. लक्ष्य से ज्यादा 65 हजार पेड़ लगाये गये. वर्ष 2015-16 में ढाई लाख पौधा लगाने का लक्ष्य है. कोयला खदान से भी काफी मात्र में प्रदूषण फैलता है.
तकनीकी निदेशक (संचालन) श्री चक्रवर्ती ने कहा कि पर्यावरण को बचाने की मुहिम तेज इसीएल करनी पड़ रही है क्योंकि पृथ्वी की परिस्थिति की तंत्र की बहुत सी चीजें या तो खत्म होने के स्तर पर पहुंच गयी है या उनको इतना नुकसान पहुंच चुका है. जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती. तकनीकी निदेशक (योजना व परियोजना) श्री रेड्डी ने कहा कि बढ़ते कोयला खनन से पर्यावरण को खतरा बढ़ा है. प्राकृतिक संसाधनों का अनाप शनाप दोहन जैव विविधता के लिये खतरा बनता जा रहा है.
यही स्थिति रही तो आने वाले वर्षो में बड़ी संख्या में प्राणियों का एक भाग विलूप्त होने की कगार पर पहुंच जायेगा. कार्मिक निदेशक श्री पात्र ने कहा कि ओपेन कास्ट माइनिंग से निकले खनन उच्छिब्ता के कारण उत्पन्न प्रदूषण से पर्यावरण खतरे में है. वनस्पतियों पर भी खतरनाक असर होता है. पौधों की वृद्धि कम हो जाती है. ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते है.
समन्वय समिति की बैठक
प्रभारी सीएमडी चंदन कुमार दे की अध्यक्षता में शुक्रवार को मुख्यालय में समन्वय समिति की बैठक हुई. तकनीकी निेदेशक (संचालन) श्री चक्रवर्ती, कार्मिक निदेशक श्री पात्र, निदेशक (योजना व परियोजना) श्री रेड्डी, सीएमडी के तकनीकी सचिव श्री राय, महाप्रबंधक (पीएंडआइआर) आरके राउत,, महाप्रबधंक (सेल्स एवं मार्केटिंग) वीके सिंह, महाप्रबंधक सुरक्षा राणा चटर्जी सहित सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधक उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि दो माह में कंपनी 6.455 मिलियन टन कोयला का उत्पादन कर चुकी है. पिछले वर्ष इस अवधि में 6.288 मिलियन टन का उत्पादन था. उत्पादन में 2.7 प्रतिशत का ग्रोथ है.
डिस्पैच में 10.7 प्रतिशत तथा अधिभार हटाने में 35.5 प्रतिशत का ग्रोथ है. उत्पादन से कम महत्व पर्यावरण का नहीं है. उत्पादन लक्ष्य 45 मिलियन टन है. इसे पूरा करना है.

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