यूनियन नेता जयनाथ चौबे बोले : कोल इंडिया का कोयला बेचने का एकाधिकार खत्म, सस्ता है निजी कंपनियों का कोयला आसनसोल. भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन कंपनी नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसीएल) ने पहली बार देश की निजी मालिकाना वाली वाणिज्यिक खदानों से कोयला खरीदने की प्रक्रिया शुरू करते हुए 30 लाख टन कोयला लेने के लिए निविदा जारी कर दी है. अबतक एनटीपीसी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से ही घरेलू कोयला खरीदती थी, जो दीर्घावधि ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) के तहत खरीदा जाता था. भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के वरिष्ठ नेता जयनाथ चौबे ने कहा कि यह कोल इंडिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. अबतक देश में कोयला बेचने का एकाधिकार सिर्फ कोल इंडिया के पास था, अब निजी कंपनियों को भी कोयला बेचने का अधिकार मिल चुका है. निजी कंपनी का उत्पादित कोयला कोल इंडिया के कोयले से काफी सस्ता होगा. अब कोल इंडिया को निजी कंपनियों से अब प्रतिस्पर्धा करना होगा जो आसान नहीं है. जिसके लिए नीतिगत निर्णय में परिवर्तन लाना होगा और यूनियनों का भी समर्थन बहुत जरूरी है. गौरतलब है कि देश कोयला उतपादन कोई भी करे बाजार में इसे बेचने का अधिकार कोल इंडिया के पास था. जिसके कारण कोल इंडिया द्वारा निर्धारित मूल्य पर ही कोयले की बिक्री होती थी. अब निजी कंपनियों को भी कॉमर्शियल माइनिंग के जरिये कोयला बेचने का अधिकार मिल गया है और देश की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादन करनेवाली संस्था एनटीपीसीएल ने तीस लाख टन कोयला निजी कम्पनियों से खरीदने के लिए निविदा भी जारी कर दी है. एनटीपीसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी ने निजी खनन संस्थाओ से 30 लाख टन कोयला खरीदने के लिए टेंडर जारी किया है और इसकी आपूर्ति पहले ही शुरू हो चुकी है. इन खदानों से सीधे हमारे संयंत्र को कोयले की आपूर्ति की जा रही है. यह टेंडर एनटीपीसी की नॉन पिटहेड बिजली सयंत्रों के लिए है. नॉन पिटहेड संयंत्र कोयला खदानों से 500 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर होते हैं, जबकि पिटहेड बिजली संयंत्र खदानों के नजदीक होते हैं. यह कोयला आयातित कोयले से सस्ता है. कोल।इंडिया से कोयला लेने के अलावा एनटीपीसी उच्च गुणवत्ता वाले कोयले का आयात भी करती है. खासकर यह आयात इंडोनेशिया से होता है. एनटीपीसीएल की कोयले की कुल मांग में आयातित कोयला की भागीदारी आठ से दस फीसदी है. अधिकारी ने कहा कि आयातित कोयले की जगह घरेलू वाणिज्यिक कोयला खरीदने लगे हैं. हमने निकट भविष्य में कोयले का आयात शून्य करने का लक्ष्य रखा है. एनटीपीसी इस समय बिजली उत्पादन की पूरी लागत का बोझ बिजली आपूर्ति की दर पर डालती है. सूत्रों के अनुसार इन निजी खदानों से कोयला सीधे एनटीपीसीएल के संयंत्रों तक पहुंचाया जा रहा है. यह कोल इंडिया के कोयले की आपूर्ति से इतर है, जिसे आमतौर पर रेल साइडिंग से उठाना पड़ता है. इसके लिए अक्सर सड़क मार्ग से ढुलाई का सहारा लेना पड़ता है. वाणिज्यिक कोयले की लागत में ढुलाई का खर्च भी शामिल है, जिसका वहन खनन कंपनी करती है. सीधी डिलिवरी, लागत के हिसाब से भी सही है और पर्यावरण के हिसाब से भी सही है.
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