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चेस बॉक्सिंग में दुर्गापुर की दो बेटियों ने तुर्की में लहराया तिरंगा

दुर्गापुर : तुर्की में आयोजित चेस बॉक्सिंग प्रतियोगिता में दुर्गापुर की श्रावणी मालाकार एवं शिल्पा वर्धन ने बेहतर प्रदर्शन कर दुनिया भर में भारत का नाम उज्ज्वल किया है. दोनों के बेहतर प्रदर्शन ने देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों में उत्साह भर दिया है. बुधवार को दुर्गापुर स्टेशन पर डाउन कालका मेल ट्रेन से […]

दुर्गापुर : तुर्की में आयोजित चेस बॉक्सिंग प्रतियोगिता में दुर्गापुर की श्रावणी मालाकार एवं शिल्पा वर्धन ने बेहतर प्रदर्शन कर दुनिया भर में भारत का नाम उज्ज्वल किया है. दोनों के बेहतर प्रदर्शन ने देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों में उत्साह भर दिया है. बुधवार को दुर्गापुर स्टेशन पर डाउन कालका मेल ट्रेन से उतरते ही शहर वासियों ने उनका भव्य स्वागत किया, बैंड बाजे के साथ दोनों को विशेष वाहन पर बिठाकर शहर की परिक्रमा कराया.

स्वागत के दौरान नगर निगम के 4 नंबर बोरो चेयरमैन चंद्रशेखर बनर्जी के अलावा खेल जगत के जाने-माने लोग मौजूद थे. 12 दिसंबर से 15 दिसंबर तक तुर्की में राष्ट्रीय चेस बॉक्सिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. प्रतियोगिता में विभिन्न देशों जापान, इटली ,जर्मनी सहित 16 देशों से करीब 112 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था.

मुकाबले में भारत की ओर से खेल रही शिल्पा वर्धन को कांस्य पदक एवं श्रावणी को ब्रॉन्ज पदक प्राप्त हुआ, पदक मिलने के बाद दोनों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा, उल्लेखनीय है की दोनों ही खिलाड़ी बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. दुर्गापुर के 43 नंबर वार्ड की रहने वाली श्रावणी मालाकार के पिता लॉटरी विक्रेता हैं. उसकी मां दूसरे के घर में कामकाज कर जीविका चलाती है. शिल्पा एक नंबर वार्ड अंतर्गत रघुनाथपुर ग्राम की रहने वाली है. शिल्पा के पिता बस कर्मचारी एवं मां मोहल्ले में घूम-घूम कर फेरी का काम करती है.

श्रावणी दुर्गापुर महिला कॉलेज के द्वितीय वर्ष की छात्रा है. खेल के प्रति दोनों बचपन से ही काफी उत्साहित रहती थी. स्कूल प्रतियोगिता से शरू कर जिला से होकर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन के पश्चात राज्य स्तरीय खेलों में दोनों का प्रदर्शन शानदार रहता था. तुर्की में आयोजित राष्ट्रीय चेस बॉक्सिंग प्रतियोगिता में पिछले दिनों अवसर प्राप्त हुआ था.

दोनों ही परिवार की माली हालत बेहद ही खराब होने के कारण विदेश जाना सपने के समान था. कोलकाता की खेल संस्था द्वारा प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए 50 हजार रुपये जमा करने का आदेश था. गरीब परिवार की यह दोनों लड़कियां इतनी बड़ी राशि जुगाड़ करने में असमर्थ थीं. बोरो चेयरमैन चंद्रशेखर बनर्जी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के खेल में भाग लेने के लिए दोनों का नाम चयन होने के बाद रुपया बाधा बन रही थी. दुर्गापुर में उनके माता-पिता मुहल्ले मुहल्ले घूम कर चन्दा मांग रहे थे.

उसी दौरान दोनों परिवार से मुलाकात हुई एवं दोनों को सहयोग करने का आश्वासन दिया गया. महकमा शासक द्वारा 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद मिलने के बाद दुर्गापुर नगर निगम, रोटरी क्लब सहित विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से दोनों को तुर्की भेजा गया. जहां उन्होंने यह कमाल कर दिखाया.

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