इलाके में तनाव, लोगों ने की पुनर्वास की मांग
पानागढ़ : पूर्व बर्दवान जिले के गलसी एक ब्लॉक के तहत बुदबुद थाना अंतर्गत रघुनाथपुर गांव में पानागढ़ सेना छावनी द्वारा किए जा रहे भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. पानागढ़ सेना छावनी तथा इलाके के ग्रामीणों के बीच चल रहा शीतयुद्ध कभी भी भड़क सकता है. इलाके में तनाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में कब्रिस्तान की भूमि तथा रास्ते की भूमि को लेकर जहां सेना अडिग है, वहीं गांव के लोग भी पीछे हटते नहीं दिख रहे हैं.
भूमि अधिग्रहण करने आए सेना के जवानों को एक दिन पहले ही गांव की महिलाओं ने अधिग्रहण के कार्य में बाधा पहुंचाते हुए रोक दिया था तथा उन्हें बैरंग लौटना पड़ा था. गांव के लोगों का कहना है कि चूंकि यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, इसके बावजूद सेना जबरन कब्जा करना चाह रही है. उक्त गांव में मौजूद रास्ता तथा कब्रिस्तान की कुछ जगह सेना के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है.
सेना के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि उक्त भूमि सेना की ही है तथा सेना अपनी ही जमीन का अधिग्रहण कर रही है ना कि गांव की जमीन. गांव के लोग जबरन विवाद फैला रहे हैं. दोनों ही पक्षों की ओर से आरोप-प्रत्यारोप एक दूसरे पर लगाया जा रहा है. बताया जाता है कि इससे पूर्व सेना की ओर से कोटामोड़, पानागढ़ रेल कॉलोनी आदि इलाकों में सेना ने वर्षों से खाली पड़ी अपनी जमीन का अधिग्रहण कर घेराबंदी कर दी है.
सेना का कहना है कि पानागढ़ सेना छावनी के विस्तार के कारण ही वर्षों से खाली पड़ी जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. सेना के इस अधिग्रहण को लेकर पानागढ़ के रेल कॉलोनी झोपड़ीपाड़ा इलाके के लोगों में आक्रोश व्याप्त है. यहां भी सेना ने अधिग्रहण के लिए काम शुरू कर दिया है.
जिसके कारण पानागढ़ रेल कॉलोनी झोपड़ीपाड़ा के लोगों में आतंक है. झोपड़ीपाड़ा के लोगों में बढ़े इस आतंक तथा दहशत को देखते हुए गलसी के विधायक आलोक कुमार मांझी ने स्थानीय लोगों के पुनर्वास की मांग को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र भेजा है ताकि सेना द्वारा हटाये जाने पर झोपड़ीपाड़ा के लोगों को पुनर्वास मिल सके. हालांकि अभी तक इस दिशा में कितना कार्य हुआ इस पर कोई स्पष्ट रिपोर्ट नहीं मिल पायी है.