परिवार घर पर न होने से ड्यूटी से छुट्टी लेकर कर्मी आवासों की रखवाली में जुटे
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चित्तरंजन रेल नगरी में पुलिस और आरपीएफ पस्त, अपराधी मस्त
परिवार घर पर न होने से ड्यूटी से छुट्टी लेकर कर्मी आवासों की रखवाली में जुटे रूपनारायणपुर : चित्तरंजन रेलइंजन कारखाना (चिरेका) की चित्तरंजन रेल नगरी में पिछले दो माह के दौरान औसतन आठ दिन पर एक चोरी की घटना ने लोगों की नींद हराम कर दी है. लोगों में चोरी का आतंक इस कदर […]
रूपनारायणपुर : चित्तरंजन रेलइंजन कारखाना (चिरेका) की चित्तरंजन रेल नगरी में पिछले दो माह के दौरान औसतन आठ दिन पर एक चोरी की घटना ने लोगों की नींद हराम कर दी है. लोगों में चोरी का आतंक इस कदर छा गया है कि लोग ड्यूटी से छुट्टी लेकर अपने घरों की रखवाली कर रहे हैं.
यहां कुछ घंटों के लिए घर खाली रहने पर दिनदहाड़े चोरी हो जा रही है. चित्तरंजन थाने में पैरवी और पहुंच न होने पर किसी भी घटना की प्राथमिकी दर्ज नहीं हो रही है. चोरी की शिकायत लेकर जाने वालों को थाना में इस कदर डराया जा रहा कि लोग शिकायत लेकर वापस चले आ रहे हैं. यूनियन नेताओं ने पुलिस और आरपीएफ की भूमिका को सवालों के घेरे में ला दिया है.
पिछले दो माह में चोरियों का आंकड़ा
12 सितंबर की रात को रेल नगरी के एरिया चार में स्ट्रीट संख्या 22 क्रासिंग रोड 17 के स्थित मिहिजाम निवासी सुबोध मंडल के मोटरसाइकिल गैरेज का दरवाजा तोड़कर अपराधियों ने पूरे दुकान को खाली कर दिया. सूचना पाकर सुबह पुलिस और आरपीएफ दोनों ही पहुंचे. चोरी की घटना की जानकारी ली. सुबोध को कहा गया कि आपका दुकान अबैध है, यदि शिकायत करते हैं तो यहां से गैरेज हटा दिया जाएगा. 15 वर्षों से गैरेज चला रहे सुबोध शिकायत दर्ज नहीं की.
24 अक्टूबर को स्ट्रीट संख्या 63, आवास सांख्य नौ बी में चिरेका कर्मी राजेश प्रसाद में घर में नगदी सहित लाखों रुपये की जेवरात की चोरी हुई. दोपहर तीन घर में ताला बंद कर ड्यूटी गए. साढ़े छह बजे लौटने पर देखा घर के तीन गेट का ताला टूटा है. चोरों ने दो अलमारी तोड़कर सारा सामान ले गए. श्री प्रसाद चिरेका में नौकरी पाने से पूर्व राज्य सरकार में पुलिस कांस्टेबल थे. उनकी भी शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई. वे लगातार थाने चक्कर लगा रहे हैं.
26 अक्टूबर को हॉस्पिटल कॉलोनी मोड़ पर स्थित दास फार्मेसी में चोरी हुई. चोरों ने दुकान का दरवाजा तोड़कर जो भी मिला उठा ले गए. दुकान मालिक अम्बरीष दास ने बताया कि पुलिस आकर घटना की जांच की. थाने में शिकायत लेकर जाने पर पुलिस ने उनके सबसे पुराने कर्मचारी को गिरफ्तार करने की बात कही. श्री दास शिकायत नहीं करके वापस लौट आए.
29 अक्टूबर को स्ट्रीट संख्या 23 में चिरेका के पूर्व कर्मी बीडी गुप्ता के घर में लाखों की चोरी हुई. थाने में शिकायत लेकर जाने पर पुलिस ने उन्हें कहा कि पूर्व कर्मी होकर आप चिरेका के आवास में नहीं रह सकते हैं. शिकायत करने पर आवास खाली करनी पड़ सकती है. उन्हें यह कहकर भी डराया की चोरी में संदेह में घर के सदस्यों की गिरफ्तारी हो सकती है. वे शिकायत लेकर वापस लौट आये.
29 अक्टूबर को हॉस्पिटल कॉलोनी आटाचक्की मोड़ पर स्थित पवित्र महतो की दुकान का ताला तोड़कर सारा सामान चोर लेकर चले गए. श्री महतो भी चिरेका की जमीन पर अबैध कब्जा कर 23 वर्षों से दुकान चला रहे हैं. वह भी शिकायत नहीं किये.
आठ सितम्बर को स्ट्रीट नम्बर ग्यारह के निवासी व चित्तरंजन रेलवे स्टेशन पर ट्रैफिक इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत मनीष रंजन के घर में गहना व नगदी सहित लाखों की चोरी हुई. श्री रंजन ने अपने वरीय आधिकरियों से पैरवी करवाने पर पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज की. एक भी मामले में कोई आरोपी अबतक नहीं पकड़ा गया.
पुलिस और आरपीएफ निष्क्रियता से बढ़ रहा अपराध
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे व इंटक के राष्ट्रीय कार्यकरिणी सदस्य सह चिरेका कर्मी इंद्रजीत सिंह ने कहा कि पुलिस और आरपीएफ की निष्क्रियता से इलाके में आपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. आरपीएफ के आईजी से इस मुद्दे पर शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्यवाई नहीं हो रही है. चित्तरंजन एक संरक्षित इलाका है. चार चार आरपीएफ की वाहनें 24 सों घन्टे पेट्रोलिंग पर रहती है. इसके अलावा पुलिस की पेट्रोलिंग टीम इलाके में गश्त लगाती है. इसके बावजूद इलाके में चोरी क्यों बढ़ रही है? अनेकों चोरी ऐसी भी है. जिसकी सूचना लोगों को मिलने से पहले ही डरा कर उन्हें चुप करा दिया जाता है.
आतंक के साये में हैं चिरेका कर्मी
चिरेका लेबर यूनियन (सीटू) के अध्यक्ष आरएस चौहान न बताया कि चिरेका में इस प्रकार लगातार एक के बाद एक चोरी नहीं हुई. इस चोरी से कर्मियों में आतंक छा गया है. यदि किसी का परिवार घर पर नहीं है और घर रखवाली के लिए कोई न मिला तो वह उस दिन घर रखवाली के लिए ड्यूटी से छुट्टी ले लेता है. इस समस्या से जीएम कार्यालय को अवगत कराया गया है. चोरी होने पर शिकायत लेकर थाने में जाने पर इतना परेशान किया जा रहा है कि लोग शिकायत करने से डरने लगे हैं. पुलिस कमिश्नरेट गठन का मुख्य उद्देश्य यहां समाप्त हो गया है.
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