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केएनयू में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

आसनसोल : सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ साउथ एंड साउथ ईस्ट एशियन सोसाईटिज के काजी नजरूल यूनिवर्सिटी सभागार में दक्षिण और मध्य एशियाई देशों में आर्थिक और सुरक्षा के दृष्टिकोण से चीन का प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. सेंटर फॉर इनर एशियन स्टडिज स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज जवाहरलाल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डा. […]

आसनसोल : सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ साउथ एंड साउथ ईस्ट एशियन सोसाईटिज के काजी नजरूल यूनिवर्सिटी सभागार में दक्षिण और मध्य एशियाई देशों में आर्थिक और सुरक्षा के दृष्टिकोण से चीन का प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. सेंटर फॉर इनर एशियन स्टडिज स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज जवाहरलाल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डा. महेश रंजन देबता ने चीन के दक्षिण और मध्य एशियाई देशों पर बढते प्रभुत्व, चीन की घातक विदेश नीतियों अन्य देशों को आर्थिक, सामरिक, निर्माण क्षेत्र में चीन से मिल रही चुनौतियों एवं भारत से चीन के रणनीतियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति एवं मोर्चा बंदी और तैयारियों के बारे में जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि अमेरिका के बाद पूरी दुनिया में तेजी के साथ दूसरी सबसे बडी शक्ति बन कर उभर रहे भारत को रोकने के लिए चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर दांव अपना रहा है. इसके लिए चीन समुद्री सीमा में अपना आधिपत्य स्थापित करने की दिशा में जोर शेार से प्रयास कर रहा है. चीन-भारत के सीमा से सटे देशों के साथ संबंध स्थापित कर उन्हें अपने विरोधी राष्ट्रों के खिलाफ इस्तेमाल करने की नीति पर काम कर रहा है. चीन बहुत से देशों को कर्ज देकर उन्हें अपने अधीन कर रहा है. पाकिस्तान को आर्थिक मदद देकर अपने कई प्रोजेक्टस पर काम कर रहा है. इसका इस्तेमाल वह अपने विरोधी देशों के खिलाफ कर रहा है.
चीन की विदेश नीतियों के खिलाफ 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने चीन और अपने विरोधी देशों को घेरने की नीति के तहत काम करना आरंभ किया. प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व के कई देशों की यात्रा की और भारत और उनके साथ बेहतर संबंध स्थापित किये. चीन की कूटनीती का जवाब देने के लिए अन्य देशों के साथ स्थापित किए नये संबंधों से प्रधानमंत्री मोदी की देश में भी अच्छी छवि बनी. चीन को पूरे विश्व में सबसे सस्ते सामानों का हब करार देते हुए उन्होंने कहा कि सस्ते श्रम के कारण चीन पूरी दुनिया में सबसे सस्ता सामान बनाकर दूसरे देशों में खपा कर वहां के बाजार को प्रभावित कर रहा है. चीन में निर्मित सामान सबसे सस्ते होने के कारण उसकी पूरी दुनिया में मांग है.
पूरी दुनिया का 44 प्रतिशत वैश्विक व्यापार समुद्र मार्ग से होने के कारण चीन समुद्री मार्ग पर अपना आधिपत्य कायम करने के लिए नये प्रोजेक्टस पर काम कर रहा है. चीन अपने ढृढ इच्छा शक्ति और राष्ट्र पहले के नीति के कारण असंभव कार्यों को भी साकार करने में लगा है जबकि भारत की नीतियों निर्माता प्रतिक्षा करो और देखो की नीति पर काम करती है. चीन सेंट्रल एशियाई देशों में लगातार अपने व्यापार बढाता जा रहा है और भारत भी अपने स्तर से विपरित परिस्थितियों की तैयारी कर रहा है. यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डा. सुबल चंद्र दे, सेंटर फॅार स्टडिज ऑफ साउथ एंड साउथ एशियन सोसाईटिज के संयोजक डा देबाशिष नंदी, राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डा आयूब मल्लिक, अनूपम पात्रा, डा. आशीष मिस्त्री एवं शोधार्थी उपस्थित थे.

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