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जिला सचिव पद से हटे रूपेश, विष्णुदेव
आसनसोल : पश्चिम बर्दवान जिला तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष वी शिवदासन उर्फ दासू ने दो माह पहले मनोनीत जिलासचिव रूपेश यादव तथा जिला परिषद सदस्य विशुनदेव नोनिया ‘निराला’ को जिलासचिव के दायित्व से मुक्त कर दिया. उन्होंने कहा कि तकनीकी गलती के कारण दोनों नेताओं के नाम कमेटी पद पर चले गये थे. उन्हें कोई […]
आसनसोल : पश्चिम बर्दवान जिला तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष वी शिवदासन उर्फ दासू ने दो माह पहले मनोनीत जिलासचिव रूपेश यादव तथा जिला परिषद सदस्य विशुनदेव नोनिया ‘निराला’ को जिलासचिव के दायित्व से मुक्त कर दिया. उन्होंने कहा कि तकनीकी गलती के कारण दोनों नेताओं के नाम कमेटी पद पर चले गये थे. उन्हें कोई दायित्व नहीं दिया गया है.
इसके साथ ही पार्टी कर्मी सम्मेलन में अनुपस्थित रहने को अनुशासन भंग मानते हुए उन्होंने रानीगंज प्रखंड के बल्लभपुर ग्राम पंचायत के प्रधान सुधन मंडल तथा उपप्रधान ममता प्रसाद को स्पष्टीकरण जारी किया. हालांकि रुपेश तथा विशुनदेव को हटाये जाने से राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है. आनेवासे संसदीय चुनाव में इसका प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है.
जिलाध्यक्ष श्री दासू ने कहा कि कुछ समय पहले जिला कार्यकारिणी की सूची जारी की गई थी. इसमें रुपेश यादव तथा विशुनदेव नोनिया ‘निराला’ के नाम गलती से जिला सचिव के पद पर अंकित हो गये थे. हालांकि उन्हें कोई दायित्व नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस गलती को सुधार लिया गया है तथा अभी दोनों को पार्टी कर्मी के रूप में अपने दायित्वों के निर्वाह करने का निर्देश दिया गया है. कुछ समय के बाद पार्टी इनकी सक्रियता की समीक्षा करेगी तथा इसके बाद पद के बारे में निर्णय लिया जायेगा.
इस मामले में श्री यादव ने कहा कि जिलाध्यक्ष श्री दासू ने ही उनका मनोनयन जिला सचिव पद पर किया था तथा उन्हें आधिकारिक पत्र भी जारी किया गया था. वे अभी भी खुद को जिला सचिव ही मानते हैं. जिलाध्यक्ष के स्तर से भी उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि अपने स्तर से सत्यता की जांच करने के बाद ही वे कोई टिप्पणी करेंगे.
इधर जिला परिषद सदस्य श्री नोनिया के करीबी सूत्रों ने कहा कि बुधवार को ही जिलाध्यक्ष श्री दासू के साथ थे. लेकिन उन्हें इसकी कोई सूचना नहीं दी गई. श्री दासू से बात करने के बाद ही कोई टिप्पणी की जा सकेगी.
संसदीय चुनाव की सरगर्मियों के बीच अंडाल प्रखंड के इन दो कद्दावर हिंदीभाषी नेताओं को जिला कमेटी से मुक्त किये जाने के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. श्री यादव अविभाजीत वर्दवान जिला परिषद में कर्माध्यक्ष रहे थे. इसके बाद नवगठित पश्चिम बर्दवान जिला परिषद में भी वह कर्माध्यक्ष बनाये गये थे. इस बार उन्हें जिला परिषद का टिकट नहीं मिला था. इसके एवज में उन्हें जिला कमेटी में सचिव मनोनीत किया गया था. अंडाल में उनका काफी प्रभाव माना जाता रहा है.
इसी तरह श्री निराला भी माकपा से तृणमूल में शामिल हुए थे. उनकी पत्नी रेणु देवी नोनिया पार्टी की जन प्रतिनिधि रही थी. इस बार श्री ‘निराला’ को पार्टी ने जिला परिषद का चुनाव लड़ाया था. उन्होंने जीत दर्ज की थी. उन्हें भी जिला सचिव बनाया गया था. पत्नी महिला मोर्चे पर सक्रिय हैं. राजनीतिक जानकारों के अनुसार जिला सचिव पद से हटाये जाने का सीधा लाभ भाजपा को मिल सकता है. संसदीय चुनाव में पार्टी सुप्रीमो सह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आसनसोल संसदीय सीट पर हर हालत में जीत दर्ज करना चाहती है.
पिछले चुनाव में भाजपा ने 70 हजार से अधिक मतों से तृणमूल को हराया था. इस बार भी मुख्य टक्कर भाजपा व तृणमूल के बीच होने की संभावना है. पिछले चुनाव में हिंदी भाषी मतों का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में अधिक हुआ था. तृणमूल इस बार इस मत का घ्रुवीकरण अपने पक्ष में करना चाहती है. इस कारण रामनवमी तथा छठ में राज्य सरकार तथा नगर निगम व पंचायत स्तर से खुल कर मदद की गई.
रामनवमी का मामला सुप्रीमकोर्ट तक गया. इस स्थिति में इन दो हिंदीभाषी नेताओं को जिला कमेटी से अलग करने से उनके समर्थकों में नाराजगी बढ़ सकती है. इसका लाभ भाजपा को ही मिलेगा. समर्थकों ने बताया कि जिला कमेटी से निष्कासन मीडिया के स्तर पर है. पार्टी से पुष्टि होने के बाद आगामी रणनीति बनायी जायेगी.
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