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सालानपुर ग्राम पंचायत में डेढ़ हजार ग्रामीण करते हैं खुले में शौच

आसनसोल : मिशन निर्मल बांग्ला के तहत खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) प्रखण्ड का दर्जा प्राप्त कर चुके सालानपुर प्रखण्ड की सालानपुर ग्राम पंचायत में तीन सौ से अधिक परिवार ऐसे हैं जो खुले में शौच करते हैं. इनके घरों में सरकारी परियोजना के तहत शौचालय नहीं बना. जबकि इनलोंगों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है […]

आसनसोल : मिशन निर्मल बांग्ला के तहत खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) प्रखण्ड का दर्जा प्राप्त कर चुके सालानपुर प्रखण्ड की सालानपुर ग्राम पंचायत में तीन सौ से अधिक परिवार ऐसे हैं जो खुले में शौच करते हैं. इनके घरों में सरकारी परियोजना के तहत शौचालय नहीं बना. जबकि इनलोंगों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि 10 से 15 हजार रुपया खर्च कर खुद का शौचालय बना सकें. इन लोगों ने सरकारी शौचालय पाने के लिए ग्राम पंचायत से लेकर प्रखण्ड कार्यालयों के चक्कर लगाये.

सरकारी कार्यालयों से इन्हें बताया गया कि बेस लाईन सर्वे में उनका नाम शामिल न होने से उन्हें इस परियोजना के तहत शौचालय नहीं मिलेगा. नये सिरे से पुनः सर्वे कराकर, उस दौरान किसी कारण से लिस्ट में शामिल न होने वालों का नाम, पुनः शामिल करने के लिए अब तक कोई सरकारी आदेश जारी न होने से इन्हें फिलहाल सरकारी शौचालय मिलने का संभावना नहीं है.
शासन ऐसे लोगों के लिए सरकारी रूप से कुछ सामूहिक शौचालय का निर्माण कर रही है. लेकिन पानी की सही व्यवस्था और रख रखाव के अभाव में यह शौचालय अधिकांश बेकार पड़े है. बेस लाईन सर्वे के आधार पर शत प्रतिशत शौचालय का निर्माण कर सालानपुर प्रखण्ड को खुले में शौच मुक्त प्रखण्ड बना. जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि प्रखण्ड में अब भी पांच चार हजार से अधिक परिवार ऐसे हैं, जिनके घरों में शौचालय नहीं है. वे नियमित खुले में शौच करते हैं. इसके बावजूद भी सालानपुर निर्मल प्रखण्ड है.
बेसलाईन सर्वे के आधार पर शौचालय बना
वर्ष 2012-13 में हुए बेसलाईन सर्वे के आधार सालानपुर प्रखण्ड में 7051 परिवारों के घरों में शौचालय बनाने के लिए चिन्हित किया गया. ये परिवार बीपीएल और प्रतिबंधित एपीएल थे. लेकिन यह बीपीएल और एपीएल की तालिका पर ही सवालिया निशान लगा हुआ है कि यह तालिका सही नहीं है. इस आधार पर चिन्हित परिवारों के घरों में शौचालय बनाने का लक्ष्य प्रखण्ड ने नवंबर, 2016 में ही पूरा कर लिया.
एक दिसंबर, 2016 को बर्दवान के तत्कालीन जिलाशासक डॉ सौमित्र मोहन ने सालानपुर में आकर इस प्रखण्ड को निर्मल प्रखण्ड की घोषणा की. जिसके उपरान्त विभागीय स्तर पर सर्वे कराया गया और त्रुटियों को संशोधित किया गया. इसके बाद राज्य और केंद्रीय स्तर की टीम ने यहां का दौरा कर सालानपुर के निर्मल प्रखण्ड के दर्जा को मान्यता दे दी.
300 से अधिक परिवार के पास शौचालय नहीं
आठ संसदों वाली सालानपुर ग्राम पंचायत के सभी इलाके पूर्ण रूप से ग्रामीण है. प्रत्येक संसद में जाति के आधार पर बामुनपाड़ा, बेनेपाड़ा, बाउरीपाड़ा, सरागपाड़ा, मोरोलपाड़ा, ग्वालापाड़ा, कुलुपाड़ा, नापितपाड़ा, रुईदासपाड़ा, तांतीपाड़ा है. सालानपुर संसद में कुल 250 परिवार रहते है. निचली जाति के अधिकांश लोग दिहाड़ी श्रमिक हैं. जिनके अधिकांश घरों में शौचालय नहीं है.
यहां 70 से अधिक परिवार के लोग खुले में शौच करते हैं. महिषामुड़ा संसद में 30 परिवार, मेलेकोला संसद में 30 परिवार, खुदिका के दो संसदों में 50 परिवार, शिबदासपुर संसद में 50 परिवार, श्रवणपुर पंचायत में 40 परिवार ऐसे हैं, जिनके घरों में शौचालय नहीं है और वे खुले में ही शौच करते है.
पंचायत और प्रखण्ड कार्यालय में आवेदन
सालानपुर संसद के निवासी व दिहाड़ी श्रमिक सपन प्रामाणिक, काजल लायक, दिलीप पाल आदि ने बताया कि वे लोग दिहाड़ी श्रमिक का कार्य कर किसी तरह अपनी जीविका चलाते है. शौचालय बनाने के लिए 10 से 15 हजार रुपया खर्च करना उनके लिए काफी कठिन है. जब सरकारी शौचालय बनने का कार्य आरंभ हुआ तो उन्होंने पंचायत कार्यालय में शौचालय के लिए आवेदन किया. वहां से उन्हें प्रखण्ड कार्यालय भेजा गया. वहां भी आवेदन किया. बताया गया कि बेस लाईन सर्वे में जिनका नाम शामिल है, सिर्फ उनके घरों में ही शौचालय बनेगा.
शौचालय की उपयोगिता के सर्वे का कार्य आरंभ
अतिरिक्त जिलाशासक (विकास) कस्तूरी विश्वास ने बताया कि जिले में जितने भी शौचालय बनाये गये हैं, उनका उपयोग लोग कर रहे है कि नहीं. इसकी जांच आरम्भ की गयी है. जांच रिपोर्ट 14 अगस्त तक जमा देनी होगी. जांच का कार्य प्रत्येक पंचायत में गठित निगरानी कमेटी की टीम करेगी. जिसमे घरों से लेकर, स्कूल, आईसीडीएस सेंटर, सामूहिक शौचालय का उपयोग किया जा रहा है या नहीं, इसकी रिपोर्ट तैयार करनी होगी. यह एक रूटिंग प्रक्रिया है. उन्होंने बताया कि नये सिरे से शौचालय न पाने वालों की सूची तैयार करने को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है.

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