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नोटबंदी : बैंक, पेट्रोल पंपों पर लंबी कतार की याद हुई ताजा शिल्पांचलवासियों की
दुर्गापुर : नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर शिल्पांचल के लोगों की यादें फिर एक बार ताजा हो गई है. काले धन को निकालने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को 500 व 1000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी. बैंकों में अप्रत्याशित भीड़, […]
दुर्गापुर : नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर शिल्पांचल के लोगों की यादें फिर एक बार ताजा हो गई है. काले धन को निकालने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को 500 व 1000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी. बैंकों में अप्रत्याशित भीड़, काउंटर पर दिनरात न खत्म होने वाली कतारें, पेट्रोल पंपों में तेल लेने की आपाधापी, रेलवे काउंटर पर अचानक भीड़ का बढ़ जाना, यह नजारा गत वर्ष नौ नवंबर को देखने को मिला था.
शहर के बैंकों, पेट्रोल पंप व रेलवे काउंटर पर लोग पहुंचे. यहां बंद किये गए 500 एवं 1000 के नोट बदले जा रहे थे. बैंकों के बाहर विभिन्न संगठनों, राजनीतिक दलों ने चाय पानी की व्यवस्था की थी. लंबी कतार लगने की वजह से कई लोग चक्कर आने की वजह से गिर घायल भी हुए थे. 31 दिसंबर तक नोट बदलने की प्रक्रिया जारी रही. इस दौरान लोग 500 व 1000 रुपये के नोट जमा कर चार हजार रुपये लेने के लिए लाइनों में लगे रहते थे. वहीं कई लोगों ने मजदूरों, कर्मचारियों को भी इस कार्य में कमीशन के आधार पर लगाया था.
एक साल बाद भी बाजार नहीं हुआ पूरी तरह कैशलेस
नोटबंदी लागू होने के बाद आई कैश की किल्लत को दूर करने के लिए कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया गया. अब नोटबंदी के एक साल पूरा हो गए हैं. इसका असर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में नोट की किल्लत के रूप में अभी भी देखने को मिल रहा है जबकि कैशलेस ट्रांजेक्शन की व्यवस्था धीमी रफ्तार से चल रही है. अब भी लोग नोट से ही लेनदेन कर रहे हैं.
शिल्पांचल में एक भी दुकान या सरकारी ऑफिस पूरी तरह कैशलेस नहीं है. हर जगह कैशलेस के साथ-साथ कैश से भी काम हो रहा है. बिजली बिल, रेल टिकट , टेलीफोन बिल, जमीन निबंधन के लिए राशि जमा कराना हो सभी जगह कैश का ही धंधा हो रहा है. बिजली विभाग तो डिजिटल तरीके से बिल जमा करने पर कुछ रिबेट भी देती है परन्तु लोगों का रुझान इस ओर कम दिख रहा है.
व्यवसायी गिरिराज शर्मा ने कहा कि नोटबंदी के एक साल पूरे हो चुके हैं. परन्तु इसका कोई विशेष लाभ दिख नहीं रहा है. उल्टे छोटे और मझोले व्यापारियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. नोटबंदी के कारण व्यापारियों की पूंजी पर संकट आ गया है. छोटी पूंजी वालों को व्यापार करना कठिन हो गया है.
नौकरी पेशा आरके मोहंती का कहना है कि नोटबंदी के कारण निजी संस्थानो में कार्य करने वालो की परेशानी बढ़ गई है. नोटबंदी के बाद से आज तक सही समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है. नोटबंदी के कारण मालिकों का पैसा इधर-उधर अटक जाने के कारण कर्मचारियों के वेतन पर उसका असर पड़ रहा है. इस कारण काफी असुविधा हो रही है. स्वर्ण व्यवसायी सुजीत वर्मन ने कहा कि नोटबंदी के बाद से लेकर आज तक हालात सुधर नहीं पाये हैं. लोगो के पास नगद की कमी के कारण बाजार प्रभावित हो रहा है. लोग बाजार के अच्छे दिन आने के इंतजार में हैं.
व्यापारियों को केंद्र सरकार से काफी आशायें थीं. नोटबंदी के बाद जीएसटी ने आशा पर पानी फेर दिया. व्यवसायी अवधेश राय ने कहा िक नोटबंदी का असर समाज के सभी तबके पर पड़ा है. सालभर बीत जाने के बाद भी लोग इससे उबर नहीं पाये हैं. सरकार को देश की गरीब जनता के बारे में एक बार सोच कर नोटबंदी के फैसले को अंजाम देना चाहिये था. बाजार की हालत काफी ख़राब है.
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